वैसे तो सभी अमावस्या धर्म कर्म के कार्यों के लिये शुभ होती हैं लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है. इस वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या यानि 15 मई को मंगलवार के दिन शनि अमावस्या का संयोग बन रहा है. इस दिन को शनि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है साथ ही वट पूर्णिमा व्रत के नाम से भी इस दिन उपवास किया जाता है. शनि देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है और अमावस्या को न्यायप्रिय ग्रह शनि देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है. हिंदू पंचांग जो पूर्णिमांत होते हैं, उनके लिये यह मास का पंद्रहवां दिन तो जो अमांत होते हैं यानि अमावस्या को जिनका अंत होता है, उनके लिये यह मास का आखिरी दिन होता है.ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन शनि दोष से बचने व शनिदोष निवारण के लिए पूजा पाठ करवाना फलदायक होता है. इस दिन शनि जयंती के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये वट सावित्री व्रत भी रखती हैं, इसलिये ज्येष्ठ अमावस्या विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी मानी जाती है और इसी कारण ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इस शनि मंदिरों में विशेष पूजन और यज्ञ का आयोजन कर शनि देवता को प्रसन्न किया जाता है. Vat Savitri vrat 2018 वट सावित्री व्रत की विस्तृत कथा Vat Savitri vrat 2018 : वट सावित्री व्रत की पूजा में चने का होना क्यों है अति महत्वपूर्ण Vat Savitri vrat 2018: वट सावित्री के लिए उपयोगी सामग्री एवं पूजा-विधि Vat Savitri vrat 2018: वट सावित्री का व्रत करने से मिलता है यह अमूल्य वरदान