इस वर्ष में ज्येष्ठ मास में अधिक मास का आरंभ भी हो रहा है इस कारण ज्येष्ठ मास में 2 अमावस्या व 2 पूर्णिमा सहित 4 एकादशियां होने वाली है.इस संयोग में धर्म कर्म, स्नान-दान आदि के लिहाज से यह बहुत ही शुभ व सौभाग्यशाली मास है.चूँकि ज्येष्ठ अमावस्या को शनि अमावस्या के साथ वट सावित्री का व्रत भी होता है तो इस दिन स्त्री पुरुष दोनों ही उपवास रख सकते हैं. ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत रखने से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी वरदान प्राप्त होता है इसलिए भी इस व्रत का महत्व बढ़ जाता है. इस दिन ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत करने के लिए प्रात:काल उठाकर अपने नित्य कर्मों से मुक्त होकर किसी धार्मिक तीर्थ स्थलों, पवित्र नदियों, सरोवर में स्नान करने की मान्यता है. यदि आप घर पर स्नान करेंगे तो स्वच्छ जल में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. स्नान के पश्चात्स्व स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्यदेव को अर्घ्य देकर बहते जल में तिल प्रवाहित करना चाहिए. तत्पश्चात पीपल के वृक्ष में जल का अर्घ्य देकर साथ ही शनि देव की पूजा भी की जाती है.आप मंदिर में जाकर शनि चालीसा सहित शनि मंत्र का जाप तथा वट सावित्री व्रत रखने वाली स्त्रियां इस दिन यम देवता की पूजा भी कर सकती हैं. पूजा के पश्चात सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा अवश्य करना चाहिए. ज्येष्ठ अमावस्या 2018 जानिए क्यों खास है ज्येष्ठ माह की अमावस्या Vat Savitri vrat 2018 वट सावित्री व्रत की विस्तृत कथा Vat Savitri vrat 2018 : वट सावित्री व्रत की पूजा में चने का होना क्यों है अति महत्वपूर्ण Vat Savitri vrat 2018: वट सावित्री के लिए उपयोगी सामग्री एवं पूजा-विधि