हर साल मनाया जाने वाला गुड़ी पड़वा का पर्व इस साल भी आने को है। इस दिन को हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। आप सभी को बता दें कि चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहते हैं। जी दरअसल यह वह दिन है जब हिन्दु नववर्ष का आरम्भ होता है। आप सभी को बता दें कि ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है और कहा जाता है शालिवाहन ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं (शक) का पराभव किया। इसी विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। वहीं ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘। इसके अलावा आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ और महाराष्ट्र में यह पर्व ‘ग़ुड़ी पड़वा’ के रूप में मनाते हैं। इसी दिन से चैत्र नवरात्र प्रारम्भ होती है। अब आइए बताते हैं गुड़ी पड़वा समय, तिथि और महत्व। गुड़ी पड़वा समय - गुड़ी पड़वा मंगलवार, अप्रैल 13, 2021 को प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 12, 2021 को 08:00 ए एम बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त – अप्रैल 13, 2021 को 10:16 ए एम बजे गुड़ी पड़वा महत्व - कहा जाता है पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस ब्रह्मांड का निर्माण किया था, इसलिए गुड़ी पड़वा के दिन, भगवान ब्रह्मा की पूजा, अर्चना की जाती हैं। ऐसा भी कहते हैं कि इस पर्व के दिन सारी बुराईयों का नाश हो जाता है और सुख समृद्धि का आगमन होता है। कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा- यह पर्व महाराष्ट्र में मुख्यतः मनाया जाता है। यहाँ कई जुलूस आयोजित किए जाते हैं और लोग नए परिधानों पहनते हैं। इसी के साथ लोग इस दिन अपने परिवार मित्रों एवं रिश्तेदारों के साथ जश्न मनाते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में विशेष तौर पर पारंपरिक व्यंजन जैसे पूरन पोली और श्रीखंड आदि बनाते हैं। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन महाराष्ट्र में मीठे चावल भी बनाए जाते हैं इन चावलों को शक्कर भात कहा जाता है। बंद घर में मृत मिला पूरा परिवार, फंदे पर लटका था पति, पत्नी-बच्चों के शव बेड पर खम्मम जिलें में हुआ दर्दनाक हादसा, लॉरी से जा टकराई बस तेलंगाना उच्च न्यायालय ने "गऊ माता सम्मेलनम" आयोजित करने की दी अनुमति