भारत के मित्र देश अफगानिस्तान के काबुल स्थित धर्मशाला गुरुद्वारे में गंभीर तौर पर घायल सिखों का इलाज भारत में करवाने पर विचार किया जा रहा है. वैसे अभी कुछ घायलों की स्थिति नाजुक है और चिकित्सकों ने उन्हें कहीं ले जाने से मना किया है, लेकिन स्थिति सुधरने पर अघर जरुरत हुई तो भारत उनका इलाज करवाने के लिए यहां ला सकती है. वैसे भी विदेश मंत्रालय इस हमले में मारे गये भारतीय तीयां सिंह के पाथृव शरीर को नई दिल्ली लाने की तैयारी चल रही है. कोरोना: इटली में पढ़ रहा इंदौर का छात्र नहीं लौट सका स्वदेश, दिया मार्मिक सन्देश इस मामले को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को सुबह ट्विट कर यह जानकारी दी. जिसमें उन्होने आगे है कि अभी चिकित्सकों की राय यह नहीं है कि घायलों को कहीं ले जाया जाए. काबुल स्थिति भारतीय दूतावास श्री तीयां सिंह के मृत शरीर को लाने की कोशिश में जुटी है. कोरोना वायरस : दिहाड़ी मजदूर की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने बोली ये बात आपकी जानकारी के लिए बता दे कि काबुल में गुरुद्वारे पर बुधवार को हुए हमला में 25 सिखों की मौत हुई है. इसमें से एक भारतीय नागरिक हैं जबकि शेष अफगानिस्तान के नागरिक हैं. पिछले दो वर्षों में अल्पसंख्यक सिखों पर किया गया यह दूसरा सबसे बड़ा हमला है. जुलाई, 2018 में काबुल स्थित एक बाजार में सिखों पर हमला हुआ था जिसमें 10 लोग मारे गये थे. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारतीय दूतावास हमले में घायल व मृतक परिवारों के साथ लगातार संपर्क में है. अफगानिस्तान सरकार के साथ मिल कर उन्हें जो भी संभव मदद है वह देने की कोशिश की जा रही है. गुरुवार को सुबह पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए अफगानिस्तान के एनएसए हमदुल्लाह मोहिब पहुंचे हैं. घायलों को नई दिल्ली ला कर उनका इलाज करने का विकल्प भी खुला हुआ है. लेकिन हम चिकित्सीय परामर्श के बाद ही ऐसा कदम उठाएंगे. लॉकडाउन के बीच भाजपा का बड़ा ऐलान, रोज़ाना 5 करोड़ गरीबों को भोजन कराएगी पार्टी आखिर क्यों सरकार कर रही वालंटियर डॉक्टरों की तलाश ? कोरोना के कहर के बीच किसानों की मुश्किलें बढ़ीं, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी