भगवान शिव के सभी विभिन्न नामों में से एक नाम भैरव भी है और इस नाम का अर्थ जीवन को संकटों से मुक्ति कराने वाला है। कहा जाता है सभी पूजा अनुष्ठानों के साथ भगवान शिव के भैरव अवतार के लिए पूजा करना काल भैरव अष्टमी या कालाष्टमी के रूप में जाना जाता है। आपको बता दें कि भगवान शिव के भक्तों के लिए ये पूजा विशेष स्थान रखती है और यह दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा अपनाई जाने वाली सबसे प्राचीन पूजाओं में से एक है। जी दरअसल इस पूजा का उद्देश्य शिव के भैरव रूप को प्रसन्न करना है जिसके द्वारा शांति प्राप्त हो सके और भय से मुक्ति मिले। आपको बता दें कि कालाष्टमी पर पूजा के मुख्य देवता भगवान काल भैरव हैं जिन्हें भगवान शिव का एक रूप माना जाता है। 'काल' शब्द का अर्थ समय से है अर्थात जो समय को भी अपने नियंत्रण में रखते हैं वे है काल भैरव जिसमें शिव की अभिव्यक्ति होती है। इसी के साथ कालाष्टमी को काल भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है और हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने भैरव के रूप धारण किया था इसलिए कालभैरव जयंती को भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि हो उस दिन व्रतराज कालाष्टमी मनानी चाहिए। आपको बता दें कि शास्त्रों में जीवन में मौजूद कठिनाईयों एवं बुराइयों को दूर करने वाली कालाष्टमी पूजा पर जोर दिया है। जी दरअसल ग्रहों की शांति के लिए यह बहुत उत्तम मानी गई है। ऐसे में अगर कोई ग्रहों की स्थिति के दुष्प्रभाव यानी दोषों को दूर करने का प्रयास करना चाहता है, तो उसके लिए कालाष्टमी पूजा बहुत ही शुभदायक फल प्रदान करने वाली होती है। इस मंदिर में स्थापित हुआ श्री कृष्ण के लिए 25 लाख का झूला कार्तिक आर्यन के साथ फोटो साझा कर अनुपम ने कह डाली ये बात केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, अगले महीने अकाउंट में आएगी मोटी रकम