धर्म के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं. आप भी नहीं जानते तो हम बता देते हैं क्या होता है अष्टमी से और कैसे व्रत और पूजन किया जाता है. कालाष्टमी पर भगवान शिव के काल भैरव रूप रूप की पूजा जाती है और इस को कालाष्टमी कहा जाता है या फिर भैरवाष्टमी भी कहते हैं. सभी व्रतों में ये व्रत सबसे फलदायी माना जाता है. इसलिए कई लोग इस अष्टमी की व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं. आइये जानते हैं आगे और भी . कहा जाता है कालाष्टमी पर व्रत पर पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. भगवान शिव काल भैरव के रूप में हमारी सहायता करते हैं और हमारे कष्टों को हरते हैं. इतना ही नहीं इस व्रत को करने से रोगों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत का फल इतना प्रभावी होता है कि आपको हर बुराई से दूर रखता है और आपके कामों में भी आपको सफलता मिलती है. इस व्रत के करने की भी विधि है जिसे आप कर सकते हैं. इस व्रत को करने की प्रथा है कि इस दिन प्रातः उठकर काल पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण करना चाहिए. काल भैरव भगवान शिव के रूप हैं और इसी को करने से भूत प्रेत जैसी शक्ति भी दूर होती है. काल भैरव के साथ-साथ ही माँ दुर्गा की भी पूजा की जाती है. इस व्रत की पूजा को रात में किया जाता है और भक्त रात के समय जागरण भी करते हैं जिसमें माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं. इसके बाद आरती करके उसी दिन कुत्ते को भोजन करा दें. सबसे अलग हैं हनुमान जी के ये तीन मंदिर इस मंदिर में दाढ़ी-मूछ में पूजे जाते हैं बालाजी भगवान को अक्षत चढाने के पीछे ये हैं मान्यता