हिंदू धर्म में हर साल सावन के महीने (sawan 2022) की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती (Kalki Jayanti 2022) मनाई जाती है। जी हाँ और इस साल ये जयंती 3 अगस्त को मनाई जाएगी। आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ा है तब तब भगवान विष्णु ने अलग-अलग रूपों में अवतार लिया है। वहीं पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु (Kalki Jayanti 2022 date) अब तक 9 अवतार (1- मत्स्य, 2- कूर्मा, 3- वराह, 4- नरसिम्हा, 5- वामन, 6- परशुराम, 7-राम, 8- कृष्ण एवं 9- बुद्ध) ले चुके हैं। ऐसा माना जाता है कि कलियुग में वह कल्कि के रूप में 10वां अवतार लेंगे। जी दरअसल हिंदू धर्म में कल्कि अवतार भगवान विष्णु (Kalki Jayanti 2022 lord vishnu) का आखिरी अवतार माना गया है और ये भगवान विष्णु का दसवां अवतार है, जो अभी तक नहीं लिया गया है। वहीं हिन्दू धर्म में कल्कि जयंती के दिन भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजा-अर्चना का विशेष विधान है। अब हम आपको बताते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे मे। कल्कि जयंती 2022 शुभ मुहूर्त - हिंदू पंचांग के अनुसार कल्कि जयंती 3 अगस्त को मनाई जाएगी। षष्ठी तिथि की प्रारंभ 03 अगस्त 2022 को सुबह 05 बजकर 41 मिनट पर होगा। षष्ठी तिथि समाप्त 04 अगस्त 2022 सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर होगी। कल्कि जयंती मुहूर्त 03 अगस्त 2022 को शाम 4 बजकर 45 मिनट से शाम 07 बजकर 30 मिनट (Kalki Jayanti 2022 shubh muhurat) तक रहेगा। Koo App जगत का पालन करने वाले भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि भगवान की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं.. #KalkiJayanti2022 View attached media content Vishva Hindu Parishad - VHP (@vhpdigital) 3 Aug 2022 कल्कि जयंती 2022 पूजा विधि - कल्कि जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-दान करें। उसके बाद श्रीहरि का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। अब घर के मंदिर में भगवान विष्णु को पहले पंचामृत से फिर गंगाजल से स्नान करायें। धूप-दीप प्रज्जवलित करें। पीला फूल, पान, सुपारी, लौंग, इत्र, रोली, पीला सिंदूर, अक्षत, पीला चंदन, तुलसी, मिष्ठान, फल इत्यादि अर्पित करें। इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। निम्न लिखित नारायण मंत्र का 108 जाप करते हुए जाने-अनजाने हुए पापों के लिए क्षमा (kalki jayanti 2022 puja vidhi) याचना करें। ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।। अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें, प्रसाद लोगों में वितरित करें। उसके बाद अगले दिन प्रातःकाल स्नान-दान कर व्रत का पारण करें। आज नागपंचमी पर राशिनुसार करें मन्त्रों का जाप और करें यह उपाय आज है सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत, जानिए पूजा विधि नाग पंचमी पर इन 5 चीजों का दिखना होता है शुभ, किस्मत चमकने का है संकेत