कल्पना चावला पहली भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी. 1997 में वह अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और 2003 में कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गये सात यात्रियों के दल में से एक थी. उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें अन्तरिक्ष यात्री बनना है, जबकि उस समय उनके जीवन में बहुत सी समस्याएं थी. आइये प्रेरणा मेहरोत्रा द्वारा लिखी गई कविता से माध्यम से कल्पना चावला को श्रद्धांजलि देते हैं. एक सपना और ठोस इरादें ऐसा कोई नहीं था, जो इनके इरादों को हिलादे. इनकी रहा में जो कोई भी चले पत्थर तो क्या वो पहाड़ को भी हिलादे. ये तो आज भी हैं हमारी कल्पनाओं में बढ़ना चाहते हैं आज भी हम इनकी दिखाई हुई राहों में. बच्चा बच्चा जाने आज तो इन्हें हर एक गाँव में. क्यों चली गई आप, सितारों की दुनिया में बसने? आया हैं यादो का वो पल आज हमको डसने. जब आप हमारे बीच थी आपके वापिस आने की हम सबको उम्मीद थी. क्यों चली गई आप? हमसे इतनी दूर? की सताता है आज भी हमको वो आपका नूर. जिसे देखने को ये आँखे तरसती थीं. बिन बादल खुशियों की बारिश भी बरसती थीं. आज क्यों कुछ कमी सी हैं हम सबकी आँखों में आपके नाम की नमी सी हैं. आजाओ एक बार फिर रूप बदल के पर जाना इस बार आप ज़रा संभल के….. नर हो, न निराश करो मन को- मैथिलीशरण गुप्त पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है-कुमार विश्वास संता की होशियारी