मुख़्तार अंसारी पर से 'गैंगस्टर' का ठप्पा हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जोर लगा रहे कपिल सिब्बल, जानिए क्या बोली अदालत ?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के तहत पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।  हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट पिछले साल के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अंसारी की अपील पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है, जिसने 23 साल पुराने मामले में उसे बरी करने के फैसले को पलट दिया था। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने गैंगस्टर अंसारी की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और मामले को चार सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया।

अंसारी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने 23 सितंबर, 2022 के उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि 25 व्यक्तियों में से केवल याचिकाकर्ता को सजा सुनाई गई है, जबकि बाकी को बरी कर दिया गया है। सिब्बल ने कहा कि, "मुझे (मुख़्तार को) भी 2020 में एक विशेष अदालत (MP/MLA मामलों से निपटने वाली कोर्ट) ने बरी कर दिया था। किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया और अब मुझे शून्य साक्ष्य पर गैंगस्टर घोषित कर दिया गया है।" राज्य का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि यूपी विधान सभा के पूर्व सदस्य अंसारी एक खूंखार अपराधी हैं, जिनके खिलाफ जघन्य अपराधों से जुड़े 50 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।

अंसारी के खिलाफ मौजूदा मामला 1999 में लखनऊ में दर्ज किया गया था, जिसमें उन पर हत्या, जबरन वसूली, अपहरण जैसे जघन्य अपराध करने का आरोप लगाया गया था। FIR में आरोप लगाया गया कि अंसारी ने गिरोह के सदस्य अभय सिंह के साथ मिलकर लखनऊ के हजरतगंज इलाके में एक जेल अधीक्षक की हत्या करवा दी थी और धन इकट्ठा करने के लिए संगठित तरीके से जबरन वसूली और अपहरण जैसे अपराध करता था। यहाँ तक कि, हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि विशेष अदालत ने अंसारी को बरी करके गलती की थी।

उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया और अंसारी को पांच साल जेल की सजा के साथ-साथ 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।  अदालत ने उल्लेख किया कि गैंगस्टर एक्ट लागू करते समय इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी को बरी कर दिया गया है या दोषी ठहराया गया है। यदि वे किसी गिरोह का हिस्सा हैं और गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2(बी) में उल्लिखित विशिष्ट अपराध करते हैं, तो उनके खिलाफ कानून लागू किया जा सकता है।

मुख़्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास भी जेल में :-

बता दें कि, अब्बास अंसारी ने 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पुलिस अफसरों और अन्य अधिकारियों को धमकी देते हुए कहा था कि, 'मेरी अखिलेश यादव जी से बात हो गई है, उन्हें मैंने कह दिया है कि, (सपा की) सरकार बनने के बाद किसी भी अधिकारी का तबादला या पोस्टिंग नहीं की जाएगी, पहले उनका हिसाब-किताब किया जाएगा। उसके बाद ही किसी का ट्रांसफर या पोस्टिंग की जाएगी।' बताया गया था कि, अब्बास उन अफसरों को धमका रहे थे, जिन्होंने उनके माफिया पिता मुख़्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई की थी, सपा की सरकार बनने के बाद उन पुलिसकर्मियों का हिसाब-किताब किया जाना था। लेकिन, राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और मनी लॉन्डरिंग के आरोप में खुद अब्बास अंसारी जेल पहुँच गए और अब जेल में उन्हें मोबाइल और अन्य सामग्री देने के आरोप में उनकी पत्नी निखत की गिरफ़्तारी हुई है।  

मुख़्तार अंसारी और कांग्रेस:-

बता दें कि, अब्बास अंसारी के पिता माफिया मुख़्तार अंसारी के कांग्रेस के साथ पुराने पारिवारिक संबंध रहे हैं, गैंगस्टर के दादा मुख़्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। और 10 साल तक देश के उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी, मुख़्तार के चाचा हैं। बता दें कि, हामिद अंसारी पर भी उपराष्ट्रपति रहते समय RAW एजेंट्स की जान खतरे में डालने के आरोप लगे थे। कांग्रेस से इन्ही संबंधों का नतीजा था कि, पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मुख़्तार को अपनी जेल में रोके रखने के लिए हर संभव कोशिश की थी। बाद में पता चला था कि, पंजाब सरकार मुख़्तार को जेल में VIP ट्रीटमेंट दे रही थी। पंजाब की AAP सरकार में मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने दावा किया था कि, पूर्व की कांग्रेस सरकार ने मुख़्तार को जेल में VIP ट्रीटमेंट दिया और 55 लाख रुपए सुख-सुविधाओं पर खर्च किए। बता दें कि, मुख्तार पंजाब की जेल में 2 साल 3 महीने तक बंद रहे। बाद में अदालत के आदेश पर मुख्तार को यूपी की बांदा जेल में शिफ्ट किया गया। बता दें कि मुख़्तार अंसारी पर हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती के कई मामले दर्ज हैं, जिसमे से अकेले 302 यानी हत्या के ही 18 मामले हैं, ये तो वो मामले हैं, जो पुलिस थानों के रिकॉर्ड में हैं, इसके अलावा न जाने कितने और अपराध होंगे, जो राजनीति की सफ़ेद पोशाख में छुपे हुए होंगे और सियासी संरक्षण के चलते दबा दिए गए होंगे। 

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