भारतीय इतिहास में कारगिल की विजयगाथा सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। वहीं कारगिल विजय दिवस इसका महत्व और भी बढ़ा देता है। पाक के साथ हुई इस महाजंग में भारत ने अपने 527 बेटों को खो दिया था, वहीं 1300 से अधिक जवान घायल हो गए थे। इन्हीं शहीदों में एक नाम शुमार है शहीद सुल्तान सिंह नरवरिया का। कारगिल युद्ध में शहीद होने से पहले सुल्तान ने माँ भारती को अनोखी सलामी दी थी। उन्हें आज भी उनके बलिदान के लिए याद किया जाता है। साल 1999 में पकिस्तान से लड़ते हुए मध्यप्रदेश के मेहगांव के शहीद सुल्तान सिंह नरवरिया ने शत्रुओं से जमकर लोहा लिया था। उनमें देश भक्ति का जज्बा इतना प्रबल था कि दुश्मन की गोलियों को सीने में लेकर उन्होंने 15 हजार फीट ऊंची तोलोलिंग पहाड़ी पर तिरंगा फहराया था। मरणोपरांत शहीद सुल्तान सिंह को उनके इस जोश और जज्बे के लिए परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। कारगिल युद्ध में अपने कदम को भारत ने नाम दिया था ऑपरेशन विजय। इसमें शहीद सुल्तान सिंह को सेक्शन कमांडर के रूप में खुद को साबित करना था। उनके हिस्से में आई तोलोलिंग पहाड़ी। उन्हें काम दिया गया था इस पहाड़ी से दुश्मनों की मशीनगन को नेस्तनाबूद करना। सुल्तान सिंह जोश और जूनून के साथ अपनी टोली के साथ निकल पड़ें। दूसरी ओर दुश्मनों की नज़र ऊंचाई से उन पर बनी हुई थी। बात है 12-13 जून, 1999 की रात की। माँ भारती का बेटा अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहकर उससे विदा लेने वाला था। सुल्तान सिंह भारत माता का जयकारा लगाते हुए अपनी टोली के साथ आगे बढ़ रहे थे। हालांकि अगले ही पल दुश्मन की गोली सुल्तान के सीने में उतर जाती है। हालांकि माँ भारती का जांबाज फिर भी आगे बढ़ता रहा। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हुए शहीद सुल्तान सिंह नरवरिया ने पोस्ट को फतह कर तिरंगा लहराया। कारगिल विजय दिवस : कारगिल के हीरो दशरथ सिंह गुर्जर, 4 दिन तक रहे थे भूखे जानिए कैसे पाक सैनिको ने पहाड़ी इलाके पर किया था कब्ज़ा कारगिल विजय दिवस : गोलीबारी के बीच पहाड़ में बना दिया था भारतीय शेरों ने रास्ता