19 साल पहले की वो ज्वाला जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है, वो अब तक भारतीय जवानों के खून में जली हुई है. उस युद्ध को आज तक कोई नहीं भूल नहीं पाया और भविष्य में भी इसे कभी भुलाया नहीं जायेगा. ये युद्ध 26 जुलाई से शुरू हुआ था जिस पर विजय हासिल कर कारगिल की बर्फ से ढंकी सफ़ेद पहाड़ी पर हमारे योद्धाओं ने तिरंगा फहराया था. इसी दिन को विजयी दिवस के रूप में जाना जाता है. इस युद्ध को आज 19 साल बीत चुके हैं और आज हम उस समय को याद कर के सहम जाते हैं. किस तरह हमारे देश के जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी और इसी के बाद इस बड़े युद्ध में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से लिख दिया. उसी युद्ध में शामिल थे कैप्टन विक्रम बतरा जिनकी हम बात कर रहे हैं. ढाई महीने तक चले इस युद्ध में देश ने लगभग 527 से अधिक वीर योद्धा को खोया था और वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे. उन युद्ध में जिन भारतीय जवानों ने अपनी जान गंवाई उन्हें याद करना ही हमारे लिए सबसे दुखद घटना है. उसी युद्ध में कैप्टेन विक्रम बत्रा ने अपनी जान गंवाई जिन्हें आज भी सभी याद रखते हैं. आपको बता दें, कैप्टन विक्रम बतरा वही हैं जिन्होंने कारगिल के प्वांइट 4875 पर तिरंगा फहराते हुए कहा था यह 'दिल मांगे मोर'. विक्रम बत्रा वीरगति को भी प्राप्त हुए लेकिन उसके पहले उन्होंने तिरंगा फहरा कर देश की शान बधाई और हमें एक और मौका दिया कि हम उन पर गर्व कर सके. विक्रम बतरा 13वीं जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स में थे जहां तोलोलिंग पर पाकिस्तानियों ने बंकर बना लिए थे. उन्होंने पाकिस्तानियों के उस बम्पर कज़्बा किया और बिना अपनी जान की चिंता किये अपने जवानों को बचाने के लिए निकल गए. बात 7 जुलाई की है जब कैप्टेन विक्रम पाकिस्तानी सैनिकों से भिड़े थे और लड़ाई में भी उन्होंने विजय हासिल की अंत में उस छोटी पर जा कर तिरंगा फहराया था. आपको बता दें, उस छोटी को बत्रा टॉप से जाना जाता है और सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित भी किया. वाकई देश के लिए जान देने वाले हमे हमेशा याद रहेंगे. कारगिल विजय दिवस : वो योद्धा जिन्होंने पाक को चटाई थी धूल कारगिल विजय दिवस : शहीदों को सलामी देने बाइक से कारगिल पहुंचे जवान आज लोगों के झूठे बर्तन धोता है करगिल युद्ध का यह योद्धा केवल 12 प्वाइंट में जानें कारगिल युद्ध को