कर्नाटक चुनावों से पहले कांग्रेस के द्वारा लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता दिए जाने को लेकर खेला गया दांव अब सफल होता दिखाई दे रहा है, लिंगायत के 30 प्रभावशाली धर्म गुरुओं ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने का फैसला किया है. लिंगायतों के इस फैसले से भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है. लिंगायत समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है, बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं. कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है. कांग्रेस सरकार के इस दांव से बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए भी यह बड़ा झटका है क्योंकि हाल ही में उन्होंने कर्नाटक के कई मठों में जाकर लिंगायत समुदाय के गुरुओं से मुलाकात की थी. लिंगायतों बीजेपी को 90 के दशक से समर्थन देते आ रहे है, ऐसे में लम्बे समय से बना आ रहा यह साथ अब कहीं न कहीं छूटता नजर आ रहा है जिसका सीधा फायदा चुनावों में कांग्रेस को मिलेगा. बता दें कर्नाटक की राजनीति और चुनावों में लिंगायतों के वोट का बड़ा महत्व माना जाता है. बड़ी बात यह है कि राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 100 से अधिक सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव है. चुनाव से ठीक पहले सार्वजनिक तौर पर किसी एक व्यक्ति या राजनीतिक दल को समर्थन देने की घोषणा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कई दशकों में ऐसा नहीं हुआ है. कर्नाटक चुनाव: लिंगायत पर अमित शाह का सियासी दांव कांग्रेस ने लिंगायत का मुद्दा राजनीतिक लाभ के लिए उठाया - शाह लिंगायत मामला-RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान