कर्नाटक विधान सभा चुनाव में प्रचार का शोर आज शाम 5 बजे थम जायेगा. 12 मई ये वो तारीख है जब कर्नाटक विधानसभा चुनावों मे मतदाता राज्य के भाग्य का फैसला करेंगे. कर्नाटक चुनाव दोनों बड़े सियासी दलों के लिए अति महत्वपूर्ण है. बीजेपी जहा देश मे हर कही एक तरफ़ा जीत से ओत प्रोत हो कर एक और राज्य को भगुआ रंग मे रंगने को आतुर है साथ ही विजय रथ को आगे बढ़ाते हुए 2019 लोकसभा का शंखनाद भी अपने अंदाज मे ही करना चाहती है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये अस्तित्व को बचाने और पुनः उठ खड़े होने का मौका है. लगातार हार, भीतर घात, अकुशल नेतृत्व, मजबूत विपक्ष जैसे कई फैक्टर है जिन्होंने कांग्रेस को हाशिये पर ला खड़ा किया है. ऐसे मे कर्नाटक चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी है. इस सूबे को जीत कर कांग्रेस सिर्फ एक राज्य नहीं जीतेगी अपितु फिर से पुनः गठन की ओर अपना पहला कदम भी बढ़ाएगी. देश की सियासत की दशा और दिशा के निर्धारण मे भी कर्नाटक चुनाव का अहम योगदान होगा. बीजेपी देश को भगुआ करने मे कोई कसर नहीं छोड़ेगी और बेहतरीन रणनीति, हवा का रुख और मोदी फेक्टर बीजेपी के लिए लगातार फायदे मंद साबित हो रहा है. ऐसे मे घमासान पक्का है. हालांकि कर्नाटक बीजेपी के लिए हमेशा से दूर की कौड़ी ही रहा है. इन सब सवालों के जवाब 15 मई को आने वाले परिणामों के साथ मिलेगा .कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामो पर देवगोडा फैक्टर का असर साफ साफ देखा जाना है और किंगमेकर की भूमिका फ़िलहाल वे ही निभा रहे है. मुद्दे जिनको केश करने की कोशिश दोनों प्रमुख दलों ने की है वे भी चुनाव परिणामो पर असर डालने वाले है. बहरहाल देखना दिलचस्प होगा की ऊंट किस करवट बैठता है. मोदी का कांग्रेस पर करारा प्रहार, अहंकारी है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी एक साथ नहीं हो सकते लोकसभा-विधानसभा चुनाव : अमित शाह कर्नाटक का रण... आंकड़ों के संग...