बैंगलोर: हाल ही में कर्नाटक में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) कार्डों को रद्द करने के फैसले को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिससे राज्य में व्यापक आक्रोश फैल गया है। कांग्रेस सरकार के अधीन आने वाले खाद्य विभाग ने हजारों बीपीएल कार्डों को अयोग्यता के आधार पर रद्द कर दिया, जिसके बाद राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की आलोचना बढ़ गई। यह कदम तब उठाया गया जब राज्य सरकार ने अगस्त में ई-गवर्नेंस विभाग के तहत 22 लाख बीपीएल कार्ड रद्द करने का निर्णय लिया, यह दावा करते हुए कि लाभार्थी या तो सरकारी कर्मचारी थे या आयकरदाता थे। हालांकि, कई प्रभावित परिवारों का कहना है कि वे इन श्रेणियों में नहीं आते और इन कार्डों पर वे अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए निर्भर थे। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस बढ़ते असंतोष को देखते हुए हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि सरकारी कर्मचारी और करदाता परिवारों के अलावा अन्य सभी परिवारों के बीपीएल कार्डों को बहाल किया जाएगा। उन्होंने खाद्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि बिना उचित कारण के कोई भी राशन कार्ड रद्द नहीं किया जाए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि कोई अधिकारी बिना वजह कार्ड रद्द करता है या गरीबों को परेशान करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्य सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि यह कदम गरीबों को निशाना बनाने और आगामी चुनावों में कल्याणकारी लाभों को घटाने के लिए उठाया गया है। भाजपा के नेता आर अशोक और अन्य पार्टी सदस्य उन परिवारों से मिलकर उनका समर्थन कर रहे हैं जिनके बीपीएल कार्ड रद्द हो गए हैं। भाजपा का कहना है कि सरकार ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी दिखाई और बिना उचित परामर्श के एक कठोर नीति लागू की, जिससे कई परिवारों को गलत तरीके से अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस मुद्दे ने राज्य की ई-गवर्नेंस प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं, खासतौर पर इस पर निर्भर खाद्य विभाग के आंकड़ों की सटीकता को लेकर। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया को लागू करने से पहले समुदायों से सही तरीके से परामर्श नहीं किया गया था, जिससे गुस्सा बढ़ा। मुख्यमंत्री ने इस विवाद को सुलझाने का आश्वासन देते हुए कहा कि प्रक्रिया की पूरी समीक्षा की जाएगी और जरूरतमंद परिवारों को उनकी सहायता से वंचित नहीं होने दिया जाएगा। इस बीच, भाजपा ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक सरकार "अन्न भाग्य" योजना की आड़ में गरीबों का शोषण कर रही है। भाजपा नेता आर अशोक ने सरकार के उस बयान पर भी सवाल उठाया जिसमें कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों के बीपीएल कार्ड रद्द कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस बड़े पैमाने पर कार्ड रद्द करने के औचित्य पर सवाल खड़ा हो रहा है, क्योंकि केवल 250 सरकारी कर्मचारी ही इस सूची में थे। भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार गरीबों से भोजन छीन रही है और राज्य को अव्यवस्था की स्थिति में धकेल रही है। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड प्राप्त करने के लिए जिन लोगों ने कई वर्षों तक संघर्ष किया था, अब उन्हें फिर से आवेदन करने और नए कार्ड के लिए इंतजार करना पड़ेगा। बोम्मई ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार गरीबों के कल्याण की बजाय अपनी राजनीति कर रही है। इस विवाद के कारण कर्नाटक में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है, और यह मुद्दा अगले चुनावों में महत्वपूर्ण बन सकता है। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद, सरकार के अगले कदमों पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं, और यह देखा जाएगा कि सरकार इस संकट को कैसे हल करती है। बैंगलोर से 318 किलो गांजा जब्त, केरल का कुख्यात तस्कर गिरफ्तार हरियाणा में भाजपा जीत कैसे गई..? हाई कोर्ट पहुंचे कांग्रेस के 5 दिग्गज नेता 'यूपी में भाजपा 9 की 9 सीट हारेगी..', उपचुनाव परिणाम से पहले अखिलेश की भविष्यवाणी