बैंगलोर: कर्नाटक सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में अनुसूचित जातियों के लिए आंतरिक आरक्षण पर एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इसके तहत, सरकार ने एक सदस्यीय आयोग का गठन करने का निर्णय लिया है, जिसकी अध्यक्षता हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज करेंगे। इस आयोग को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। कर्नाटक के कानून मंत्री एच के पाटिल ने बताया कि यह आयोग अनुसूचित जातियों के लिए आंतरिक आरक्षण के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर बनाया गया है। आयोग को आंकड़ों का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट तैयार करनी होगी, और राज्य सरकार के आगामी निर्णय उसी रिपोर्ट पर आधारित होंगे। इसी के चलते, सभी भर्ती प्रक्रियाओं को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है, और भविष्य में नई भर्ती अधिसूचनाएं आयोग की रिपोर्ट के बाद ही जारी की जाएंगी। कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने बताया कि आंतरिक आरक्षण सरकार के घोषणापत्र का हिस्सा था। पिछली सरकार ने बिना किसी ठोस डेटा के आंतरिक आरक्षण देने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश साफ तौर पर कहता है कि आंतरिक आरक्षण डेटा पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को हल करने और डेटा प्राप्त करने के लिए एकल जज आयोग का गठन किया गया है। पिछले तीन दशकों से अनुसूचित जातियों में आंतरिक आरक्षण के माध्यम से दलित समुदाय के लिए न्याय की मांग जारी रही है। एसएम कृष्णा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में आंतरिक आरक्षण की मांग काफी तेज हुई थी, और इसके बाद सरकार ने एक स्वतंत्र आयोग बनाने के प्रस्ताव पर विचार किया। बाद में, 2005 में धरम सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार ने एजी सदाशिव के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया, जो अध्ययन कर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। दिवाली से पहले ही 'जहरीली' हो गई दिल्ली, कई इलाकों का AQI 300 के पार धनतेरस पर मेरठ को बड़ी सौगात देंगे पीएम मोदी, खुलेगा 100 बेड का हाईटेक हॉस्पिटल मातम में बदली दिवाली की खुशियां, सजावट के दौरान 3 लोगों की हुई दर्दनाक मौत