'महाराष्ट्र ने 2004 में केस किया था, हम कानूनी लड़ाई लड़कर अपनी जमीन लेकर रहेंगे': CM बोम्मई

बेंगलुरु: महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद मामले में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री अब आमने-सामने हो चुके हैं। जी दरअसल दोनों विवादित क्षेत्र को लेकर अपना हक जताने में लगे हुए हैं। इन सभी के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नाराजगी जताई है। जी हाँ और नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा है कि, 'भारत राज्यों का संघ है। हर राज्य का अपना अधिकार है। कानून बहुत स्पष्ट है और यह संबंधित सरकारों का कर्तव्य है कि वे शांति, कानून और व्यवस्था बनाए रखें और देखें कि राज्यों में शांति और अमन-चैन बनी रहेगी।' इसी के साथ मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह भी कहा कि, 'महाराष्ट्र ने साल 2004 में केस किया और हम कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं और भविष्य में भी कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। हमें विश्वास है। हम अपनी सीमाओं, अपने लोगों और सभी की रक्षा करेंगे।'

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इसके अलावा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यह भी कहा कि, 'अगर कोई भड़काऊ बयान दे रहा है तो मैं इसकी निंदा करता हूं और महाराष्ट्र सरकार से तत्काल कार्रवाई करने और इसे रोकने का आग्रह करता हूं। यह राज्यों के बीच एक बड़ा विभाजन लाएगा। इसलिए महाराष्ट्र सरकार को तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए। हम कानून का पालन करने वाले लोग हैं और हम अपने अधिकारों के भीतर हैं।'

अब अगर हम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की बात करें तो उन्होंने आज एक ऐसा बयान दिया जिससे कर्नाटक की सियासत गरमा गई। जी दरअसल, उन्होंने साफ़ कह दिया है कि हम सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी लोगों को न्याय दिलाने का काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र में एक इंच भी जगह नहीं जाने दी जाएगी। केवल यही नहीं बल्कि उन्होंने यह तक कहा कि 40 गांवों की समस्याओं को हल करना हमारी सरकार की जिम्मेदारी है। हमारी सरकार देश की जमीन, पानी और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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