कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा के संभावित तौर पर बाहर निकलने के वक़्त पर भाजपा तथा आरएसएस के मध्य विवाद जारी है। लिंगायत समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एक रिप्लेसमेंट तलाशने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा को एक ऐसे नेता की खोज है जो न सिर्फ सभी को एक साथ रख सकता हो, बल्कि प्रदेश में नाजुक लिंगायत-वोक्कालिगा जाति समीकरण को भी बनाए रख सकता है। वही कर्नाटक के कई नेता, जिनमें कम से कम दो शीर्ष पद की रेस में सम्मिलित हैं वह राजधानी दिल्ली में सीनियर नेताओं से भेंट करते दिखाई दिए थे। इनमें राष्ट्रीय (संगठन) सचिव बीएल संतोष तथा कुछ महासचिव भी सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त कई एक्सपर्ट्स तथा आरएसएस के पदाधिकारियों को भी राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा संभावितों तथा नियुक्ति के संभावित परिणामों पर इनपुट के लिए बुलाया गया था। पार्टी साफ़ है कि अगला सीएम न सिर्फ प्रदेश इकाई के सीनियर नेताओं जैसे केएस ईश्वरप्पा, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार तथा मजबूत पक्ष रखने वाले अन्य व्यक्तियों को संभालने में सक्षम होना चाहिए, बल्कि कांग्रेस-जेडी (एस) को भी बनाए रखने वाला होना चाहिए। दो वर्ष पहले भाजपा सरकार बनाने में सहायता करने वाले नए लोगों को पार्टी के पाले में रखकर उन्हें दूर रखा गया है। पार्टी इस बात को लेकर सचेत है कि कर्नाटक में उसके द्वारा किए गए किसी भी कदम का प्रभाव 2024 के लोकसभा चुनावों में पड़ सकता है। कर्नाटक में RSS हमेशा मजबूत रहा है, इसके प्रचारकों की मौजूदगी, जैसे बीएल संतोष तथा दत्तात्रेय होसबाले प्रदेश के महत्व को एक अलग स्तर पर ले जाते हैं। J-K: सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हो रही मुठभेड़, एक आतंकी हुआ ढेर इंडिया पोस्ट जीडीएस के पदों पर जारी किए गए आवेदन Tokyo Olympics: पीवी सिंधु ने शानदार आगाज के साथ जीता पहला मैच