जिन किसानों की जमीन पर कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड ने ठोंका दावा, उनसे मिले JPC अध्यक्ष

बैंगलोर: संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कर्नाटक में वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद की समीक्षा के लिए हाल ही में हुबली का दौरा किया। इस दौरे के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि यह विवाद प्रशासनिक तंत्र के समर्थन के बिना संभव नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशों के तहत ही कुछ किसानों की जमीन, मंदिरों, और धरोहर स्थलों को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है।

जगदंबिका पाल ने बताया कि इस मामले में 10-15 किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने वाला था, लेकिन उन्हें इस मामले में 70 से अधिक शिकायतें मिली हैं। उनका मानना है कि बिना सरकारी निर्देशों के अधिकारियों द्वारा ऐसी कार्रवाइयां संभव नहीं हैं, और राज्य सरकार अब किसानों को मिले नोटिस वापस लेने की बात कह रही है। उन्होंने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर नाराजगी जाहिर की, इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि वे इन सभी रिपोर्टों की समीक्षा करके एक रिपोर्ट तैयार करेंगे।

केंद्र सरकार द्वारा ‘वक्फ एक्ट-2024’ में संशोधन की योजना का भी उन्होंने जिक्र किया। पाल ने कहा कि देश के अन्य राज्यों, जैसे दिल्ली में भी, किसान वक्फ बोर्ड की संपत्ति के दावों से परेशान हैं। कई जगहों पर वक्फ बोर्ड दशकों से किसानों की खेती की जमीन पर अपना दावा कर रहा है, जिससे किसान विरोध में उतर आए हैं। 

तेजस्वी सूर्या, कर्नाटक के सांसद, ने इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया था और कर्नाटक के किसानों के प्रतिनिधिमंडल को इस मुद्दे पर गवाही देने का मौका देने का अनुरोध किया था। पाल ने विजयपुर का दौरा करने की योजना भी बनाई, जहाँ बीजेपी नेता और किसान दिनभर धरना दे रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना है कि यह मुद्दा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही उठाया गया था और उसी दौरान एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिससे किसानों की संपत्ति के रिकॉर्ड में वक्फ का नाम दर्ज हुआ था।

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