चेन्नई : तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के निधन से पूरा राज्य शोक में डूबा हुआ है. उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़े-बड़े राजनेता शामिल हुए हैं. हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे हैं. निधन की खबर सुनते ही लोग उनके पैतृक आवास पर पहुंचने लगे. इतना ही नहीं करूणानिधि को दफ़नाने के लिए कुछ समय से तमिल नाडु हाई कोर्ट में दलीलें चल रही थी जिस पर कोर्ट ने फैसला दिया है कि उन्हें अब मरीना बीच पर ही दफ़नाया जायगा. मद्रास HC का फैसला- मरीना बीच पर ही होगा करूणानिधि का अंतिम संस्कार जानकरी के लिए बता दें, करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को तिरुक्कुवलई गांव में हुआ है जहाँ उन्होंने अपना बचपन भी बिताया है. गाँव के उस उनके घर में अब उनकी मां की प्रतिमा है और उनके माता और पिता मुथुवेलार नूलागम और अंजुगम पाडीप्पगम के नाम पर दो पुस्तकालय हैं. इसी में करूणानिधि की कुछ तस्वीरें भी हैं जो उनके बचपन से जवानी तक की हैं. करूणानिधि ने गांव के पंचायत यूनियन मिडल स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा ली है. इस पर उन्होंने स्कूल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी बनाना का आदेश दिया था. करूणानिधि के लिए भारत रत्न की मांग... विचित्र बात तो ये है कि, करूणानिधि का उनके ही नाम से जाना जाता है और उनके निधन के बाद गांव के लोगों को लगता है कि उन्होंने अपनी पेचान खो दी है, क्योकि करुणानिधि 2006 -11 में जब मुख्यमंत्री रहे थे तब दो बार आये थे और साल 2009 में आखिरी बार आये थे जिसके बाद गाँव की पहचान बन गए थे. आखिर में करूणानिधि ने 94 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. चेन्नई के कावेरी अस्पताल में वो बीमारी के कारण काफी समय से भर्ती थे जिसके बाद मंगलवार शाम 6:10 बजे चेन्नई के कावेरी अस्पताल में ही अंतिम सांस ली. खबरें और भी.. करूणानिधि के निधन पर कोर्ट में चल रही हैं ये 5 दलीलें हिन्दू होने के बावजूद करूणानिधि को दफनाया क्यों जा रहा है ?