करूणानिधि की फिल्मों के प्रतिबन्ध ने खोली थी उनकी राजनीति की राह

डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करूणानिधि ने 7 अगस्त को अंतिम सांस ली. पिछले कुछ दिनों से करूणानिधि को चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन मंगलवार सुबह उनके लगभग सभी प्रमुख अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद करूणानिधि ने शाम को दम तोड़ दिया था. करूणानिधि ने एक राजनेता के तौर पर तो अपनी खास पहचान बनाई है लेकिन उन्होंने राजनीति से पहले फ़िल्मी दुनिया में भी खूब नाम कमाया है.

करूणानिधि ने शुरुआती दौर में फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट भी लिखी है. करूणानिधि को उनके प्रशंसक बतौर राजनेता के साथ-साथ उनके अभिनय और उनके लेखन के लिए भी याद करते हैं. हम आपको करूणानिधि के फ़िल्मी सफर पर ले जा रहे हैं. करूणानिधि ने अपने करियर की शुरुआत बतौर स्क्रिप्ट राइटर ही की थी. करूणानिधि खासतौर से ऐतिहासिक और सामाजिक मुद्दों पर लिखते थे. करूणानिधि ने साल 1952 में आई फिल्म 'परासक्ति' के जरिए अपने राजनीतिक विचारों को प्रकट किया था. इस फिल्म के स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखने का काम करूणानिधि ने ही किया था.

करूणानिधि के लिए ये फिल्म जीवन में एक नया मोड़ लेकर आई थी. इस फिल्म के जरिए करूणानिधि ने द्रविड़ आंदोलन की विचारधाराओं को पेश किया था. इस फिल्म को पहले बैन कर दिया गया था. दरअसल फिल्म परासक्ति में ब्राह्मणवाद की आलोचना करते हुए दिखाया गया था जिसको लेकर रूढ़िवादी लोगों ने हंगामा किया था और विवाद भी हुआ था. फिल्म को लेकर कई विवाद भी हुए थे जिसके बाद साल 1952 के अंत में ये फिल्म रिलीज़ हुई थी. विवादों के कारण फिल्म कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. करूणानिधि को अपनी फिल्मों के जरिए ही राजनीति में आने का मौका मिला था और आगे चलकर वो एक बड़े राजनेता के रूप में आगे आए.

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