वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर सहित अन्य विग्रहों और स्थानों की वीडियोग्राफी को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. श्रृंगार गौरी मंदिर समेत ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग के भीतर विग्रहों की कमीशन सर्वे और वीडियोग्राफी की कार्रवाई का मुस्लिम समुदाय ने विरोध करने की घोषणा की है. दरअसल, 26 अप्रैल को वाराणसी के सिविल जज सिनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को कायम रखते हुए तीन मई ईद के बाद और 10 मई के पहले काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर समेत अन्य जगहों पर भी कमीशन की कार्रवाई और वीडियोग्राफी का आदेश दिया था. जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग के भीतर का भी कुछ हिस्सा है. मुस्लिम पक्ष के पक्षकार प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मो. यासिन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में वे कमीशन के सर्वे और वीडियोग्राफी की कार्रवाई का विरोध करेंगे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ये सारा धार्मिक द्वेष और सियासी कारणों से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ये सारा मुद्दा श्रृंगार गौरी का है. जबकि वादियों ने ज्ञानवापी मस्जिद को भी शामिल करने का प्रयास किया. इसी कारण दो बार कमीशन की कार्रवाई नहीं हो सकी. आगे भी प्रयास जारी रहेगा. श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन होता रहा है. उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के बाद भी वे कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई के लिए किसी को मस्जिद के भीतर नहीं जाने देंगे. इसका विरोध होगा. उन्होंने यह भी कहा कि वे अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का अंजाम भुगतने के लिए तैयार हैं, लेकिन मस्जिद की बैरिकेडिंग के अंदर नहीं जाने दिया जाएगा. कुमारस्वामी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में विरोध किया, अजय देवगन पर 'हास्यास्पद व्यवहार' का आरोप लगाया BHU की दीवारों किसने लिखे 'कश्मीर तो झांकी है, पूरा भारत बाकी है' और 'ब्राह्मणों की कब्र खुदेगी' जैसे नारे ? राजीव गाँधी के कातिल को रिहा क्यों न किया जाए ? केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट का सवाल