शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ के कपाट, अब 6 महीने बाद होगा पूजन

देहरादून: केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। रविवार, 3 नवंबर को भैया दूज के पर्व पर सुबह 8:30 बजे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच यह विधि संपन्न हुई। कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली, भारतीय सेना के बैंड के साथ, शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए रवाना की गई।

कपाट बंद करने की यह प्रक्रिया वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के अनुसार पूरी हुई। "ऊं नम: शिवाय" और "जय बाबा केदार" के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा, और श्रद्धालु सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों पर भक्ति भाव से झूमते नजर आए। करीब 15 हजार से अधिक भक्त इस पावन क्षण के साक्षी बने। मंदिर को भव्य तरीके से फूलों से सजाया गया था। बीकेटीसी के आचार्य, वेदपाठी और पुजारियों ने पहले भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा की। शिवलिंग को भस्म, बेलपत्र और स्थानीय फूलों से सजाकर समाधि रूप में स्थापित किया गया। इसके बाद, बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को विधिपूर्वक मंदिर से बाहर लाया गया, और फिर कपाट बंद कर दिए गए।

हर साल शीतकाल की शुरुआत के साथ ही केदारनाथ धाम के कपाट छह महीनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान बाबा केदारनाथ की पूजा शीतकालीन गद्दीस्थल, ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में ही की जाती है।

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