कुख्यात आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने के इच्छुक युवक-युवतियों के ब्रेन वाश के लिए गूगल एक प्रोग्राम तैयार कर रहा है. जिसमे अरबी और अंग्रेजी के 1700 शब्दों का बैंक बनाया गया है. यह प्रोग्राम गूगल सर्च पर निगाह रखेगा और अगर कोई व्यक्ति इस बैंक में दर्ज कुछ शब्दों का उपयोग बार-बार करेगा तो उसे ऐसे यूट्यूब वीडियो लिंक्स की तरफ रीडायरेक्ट किया जाने लगेगा जिनमें आईएस जैसे संगठनों की वास्तविकता बताई गई है. यह एक तरह की काउंसेलिंग होगी. इस प्रोग्राम पर पिछले एक साल से काम किया जा रहा है. इसे रीडायरेक्ट मेथड नाम दिया गया है। इस पर गूगल की थिंकटैंक काम कर रही है, उसे जिगसॉ कहते हैं। यह गूगल के स्वामित्व वाली कंपनी है. जिगसॉ के रिसर्च और डेवलपमेंट प्रमुख यासमिन ग्रीन हैं. उनकी टीम ने आईएस की कार्यप्रणाली और असलियत समझने के लिए काफी शोध-अध्ययन किया है. ग्रीन ने तो ब्रिटेन और इराकी जेलों में बंद आईएस आतंकियों और उनसे विद्रोह कर भाग आए लोगों से जाकर मुलाकात भी की. गौरतलब है की आईएस अपने प्रचार-प्रसार के लिए इंटरनेट पर काफी कुछ निर्भर रहता है. इन पर रोक की बहुतेरी कोशिश होती रही है. गूगल और फेसबुक काफी सामग्री को ब्लॉक भी करती रहती हैं. स्वाभाविक है कि नए प्रोग्राम के जरिये आईएस का प्रचार करने वाले लिंक्स पर जाना मुश्किल होगा. साथ ही आईएस समर्थकों के साथ उनलोगों पर भी निगाह रखने और उन्हें पकड़ने में मदद मिलेगी जो इस संगठन में शामिल होने के इच्छुक हैं.