दान देते समय यदि पूर्व दिशा की तरफ मुंह तो निश्चित ही दान देने का पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा दान ग्रहण करने वाले ब्राह्मण का भी मुंह उत्तर दिशा की हो तो उत्तम होगा। गौरतलब है कि दान देते समय हम ऐसी बातों का ध्यान नहीं रखते है जो ज्योतिष या विधि विधान के अनुसार बहुत आवश्यक होती है। दान देने का फल अवश्य ही प्राप्त होता है लेकिन यदि सही दिशा के अनुसार मुंह रखकर दान दिया जाये तो पुण्य फल की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है। इसलिये आगे से इस बात पर अवश्य ही गौर कर दान दें। ये होते है दश महादान - गाय, जमीन या भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी और नमक। इस तरह का दान पितरों के निमित्त दिया जाता है। ये होते है अष्ट महादान - तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सप्तधान्य, भूमि और गाय। दान देने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यदि जीवन में दान नहीं दिया जाये तो जीवन सफल नहीं होता है इसलिये दान का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में उल्लेखित है। दान देने से पुण्य फल मिलता है, लेकिन दान देते समय दिल में इस बात का बिल्कुल भी ख्याल नहीं आना चाहिये कि मुझ से बड़ा कोई दानी नहीं है, अन्यथा दान देने का फल प्राप्त नहीं होगा और दिया हुआ दान व्यर्थ ही चला जायेगा। शादी में 5 लाख खर्च किये तो करना होगा दान इन वस्तुओं दान करने से होगी अनिष्ट ग्रहों की शांति