शराब घोटाले में केजरीवाल को बड़ा झटका, ED को मिली केस चलाने की मंजूरी

नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में बड़ा मोड़ आया है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा के बीच राजनीतिक घमासान तेज हो गया है।  

ईडी ने 5 दिसंबर 2024 को दिल्ली के मुख्य सचिव और मुख्य सतर्कता अधिकारी को पत्र लिखकर केजरीवाल के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी थी। जवाब में उपराज्यपाल ने मंजूरी देकर जांच का रास्ता साफ कर दिया। दरअसल, इस मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पहले ही 17 मई 2024 को अभियोजन शिकायत दर्ज की जा चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट के 6 नवंबर 2024 के आदेश के अनुसार, किसी भी सरकारी पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए एलजी की अनुमति अनिवार्य है। इसी आधार पर ईडी ने यह अनुमति मांगी थी, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।  

दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी (2021-22) लागू की थी। इस नीति के तहत सरकार ने शराब कारोबार से खुद को अलग कर लिया था और दुकानों को निजी हाथों में सौंप दिया था। दावा किया गया था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और राजस्व में इजाफा होगा। लेकिन यह नीति विवादों से घिर गई। 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया, लेकिन तब तक इस नीति पर भ्रष्टाचार और पैसों की हेराफेरी के आरोप लग चुके थे। मामले ने उस वक्त तूल पकड़ा जब दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट में शराब नीति में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया। रिपोर्ट में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कई आप नेताओं पर अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप लगाए गए।  

एलजी वीके सक्सेना ने रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके बाद 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज किया और मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथों में भी पहुंच गया। चूंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप शामिल थे, ईडी ने अपनी जांच तेज कर दी। ईडी की जांच के दौरान दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों के साथ यह दावा किया गया कि नई शराब नीति के जरिए शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया और सरकार को नुकसान हुआ। इसके बाद ईडी ने कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी।  

एलजी के फैसले पर आम आदमी पार्टी ने पलटवार किया है। पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यह खबर झूठी है और एलजी ने ऐसी कोई मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने मांग की कि अगर ईडी को अनुमति मिली है, तो उसकी कॉपी सार्वजनिक की जाए। मनीष सिसोदिया ने भी इसे भाजपा द्वारा ध्यान भटकाने की चाल बताया। उन्होंने कहा कि यह पूरी खबर फर्जी है और इसका कोई प्रमाण नहीं है। सिसोदिया ने आरोप लगाया कि विपक्ष बाबा साहब आंबेडकर के अपमान के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए यह सब कर रहा है।  

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग कानून) के तहत किसी भी सरकारी पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ मुकदमे के लिए राज्यपाल या संबंधित अधिकारी की अनुमति जरूरी होगी। इसी आदेश के बाद ईडी ने एलजी से मंजूरी मांगी थी। एलजी की मंजूरी के बाद अब ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन इस बीच हाई कोर्ट में अरविंद केजरीवाल ने चार्जशीट रद्द करने की अपील दायर कर दी है। हाई कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।  

यह मामला केवल कानूनी लड़ाई तक सीमित नहीं है। यह दिल्ली की राजनीति का केंद्र बन चुका है। विपक्ष जहां इसे आप सरकार की पोल खोलने वाला घोटाला बता रहा है, वहीं आप इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रही है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि यह आरोप बेबुनियाद हैं और उनके पास सफाई देने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। दूसरी ओर, भाजपा और अन्य विपक्षी दल इसे भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बताते हुए जांच में तेजी लाने की मांग कर रहे हैं।  

यह मामला अगले चुनावों पर सीधा असर डाल सकता है। एक ओर, आप सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है, वहीं विपक्ष इस मौके को भुनाने की पूरी कोशिश में है। शराब नीति घोटाले का यह विवाद फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट और अदालतों के फैसलों पर नजर बनी हुई है। इस बीच, आम आदमी पार्टी की साख और केजरीवाल की छवि दांव पर लगी है। आने वाले दिनों में यह मामला और भी पेचीदा हो सकता है, जब अदालतों से नए आदेश और खुलासे सामने आएंगे।

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