नई दिल्ली: केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज 22वें दिन में प्रवेश कर चुका है। सरकार और किसानों के बीच अब तक 5वें दौर की वार्ता हो चुकी है, किन्तु समस्या जस की तस बनी हुई है। ऐसे में अब दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विधानसभा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में संकल्प पत्र पेश किया है। दरअसल, नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को आम आदमी पार्टी (AAP) पूरी ताकत से समर्थन दे रही है। लगातार 22 दिन से दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर डटे हुए किसानों को हटाने के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की गई, जिसकी सुनवाई के दौरान दिल्ली प्रशासित केजरीवाल सरकार ने किसानों को पूरा समर्थन दिया और उनकी मांगों को जायज करार दिया। इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच तीखी बहस हुई। केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार पर सवाल दागा कि आखिर क्यों वो किसानों का पक्ष ले रही हैं? इसके जवाब में केजरीवाल सरकार ने केंद्र से ही सवाल कर लिया कि वो किसका पक्ष ले रही है? आपको बता दें कि केजरीवाल सरकार की तरफ से वकील राहुल मेहरना ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार किसानों की मांगे मान ले तो ये आंदोलन फौरन समाप्त हो जाएगा। इन कानूनों को लाकर किसानों को यहां बैठने के लिए विवश किया गया है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन का पुरजोर विरोध किया। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि किसान चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। वो किसी भी तरह का समझौता न करके अपनी मांगों पर अड़े हैं और अब उनके साथ विपक्षी पार्टियों की ताकत भी जुड़ गई है। प्रतीक-बैटरी मशाल के आवंटन पर एमएनएम ने चुनाव आयोग से किया संपर्क यूपी चुनाव: क्या योगी के खिलाफ मायावती को भी साथ लाएगी AIMIM ? जानिए ओवैसी का जवाब दिल्ली बॉर्डर पर किसान विरोध को देखते हुए हाई कोर्ट ने PIL का मनोरंजन करने से किया इनकार