नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। दावा किया गया है कि उन्होंने द्वारका एक्सप्रेसवे से संबंधित भूमि अधिग्रहण सौदे में अपने बेटे की कंपनी का पक्ष लिया, जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर 315 करोड़ रुपये का लाभ हुआ। इन आरोपों के संबंध में शिकायत मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास दर्ज कराई गई है, जिन्होंने बाद में इसे आगे की जांच के लिए सतर्कता मंत्री आतिशी के पास भेज दिया। बता दें कि कुमार से जुड़ा विवाद नया नहीं है; उन्होंने पहले उत्पाद शुल्क नीति और मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण में कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक जांच की थी। इस जांच से कुमार और केजरीवाल सरकार के बीच विवाद चल रहा है। सेवानिवृत्ति के करीब होने के बावजूद ऐसी अटकलें हैं कि नरेश कुमार को विस्तार मिल सकता है। आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार का तर्क है कि कुमार द्वारका एक्सप्रेसवे से जुड़े भूमि मुआवजा मामले से संबंधित अनियमितताओं में शामिल हैं। इस मामले में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जा चुकी है और सीबीआई जांच चल रही है। AGMUT (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी नरेश कुमार पहले अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने पिछले साल अप्रैल में विजय देव की जगह दिल्ली के मुख्य सचिव का पद संभाला था। इसके अतिरिक्त, नरेश कुमार नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं। मुख्य सचिव के खिलाफ शिकायत को जांच के लिए भेजने का फैसला केजरीवाल सरकार और कुमार के बीच बढ़े तनाव का संकेत देता है। जैसे-जैसे स्थिति सामने आएगी, यह देखना बाकी है कि इन आरोपों का कुमार के करियर और दिल्ली में राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा। ताइवान में एक लाख भारतीय कर्मचारियों की मांग, समान वेतन और बीमा सुविधाएं देने को भी तैयार चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक ने शिक्षण संस्थान को दान किया अपना दो साल का वेतन, खुद चुका रहे हैं होम लोन जयपुर में आयकर विभाग के छापे, नोटों से भरी बोरियां बरामद, भाजपा नेता ने लगाया था यहाँ पेपर लीक की काली कमाई होने का आरोप !