नई दिल्ली: भारत के दक्षिणी राज्य केरल में बाढ़ द्वारा मची तबाही से पूरा विश्व वाक़िफ़ है, इस भयानक त्रासदी में 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 13 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए थे, प्रशासन ने इसे सदी की सबसे बड़ी त्रासदी बताया था. किन्तु अगर मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो केरल बाढ़ आने वाले प्रलय का मात्र नमूना है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ग्‍लोबल वार्मिंग को नहीं रोका गया तो और भयानक हालात देखने पड़ सकते हैं. आज गोरखपुर पहुंचेगी अटल अस्थि कलश यात्रा, 5 कि.मी पैदल चलेंगे योगी मानसून विशेषज्ञ एलेना सुरोव्‍यात्किना ने बताया, 'पिछले 10 सालों में जलवायु परिवर्तन की वजह से जमीन पर गर्मी बढ़ी है जिससे कि मध्‍य व दक्षिण भारत में मानसूनी बारिश में बढ़ोत्‍तरी हुई है.' अभी तक धरती के औसत तापमान में औद्योगिक क्रांति के बाद से एक डिग्री सेल्शियस की बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई है. वर्ल्‍ड बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट 'साउथ एशिया हॉटस्‍पॉट' में बताया गया है कि अगर हालातों पर पर काबू नहीं किया गया तो भारत का औसत वार्षिक तापमान डेढ़ से तीन डिग्री तक बढ़ सकता है. मैं दोबारा सीएम बनकर आऊंगा : सिद्धारमैया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर इसी तरह पेड़ों की कटाई और कारखानों का दौर जारी रहा तो 2050 तक भारत की जीडीपी को 2.8 का नुकसान होगा, साथ ही देश की लगभग आधी आबादी इसके कारण प्रभावित हुई. हालिया रिसर्च में कहा गया है कि यदि कार्बन उत्‍सर्जन पर काबू नहीं पाया गया तो गर्मी और नमी के चलते उत्‍तरपूर्वी भारत के कुछ हिस्‍से इस शताब्‍दी के अंत तक रहने लायक नहीं बचेंगे. खबरें और भी:- मणिपुर पिस्तौल घोटाला: NIA की हिरासत में कांग्रेसी विधायक इटालियन डीजे पर कोई हमला नहीं किया गया- एयर इंडिया केरल बाढ़ : स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूर की 18 करोड़ की अतिरिक्त वित्तीय सहायता