कोच्ची: केरल उच्च न्यायालय ने पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली लेफ्ट सरकार से सवाल किया है कि वह मदरसा शिक्षकों को पेंशन देते हुए एक धार्मिक गतिविधि का वित्तपोषण क्यों कर रही है। उच्च न्यायालय ने ये सवाल मंगलवार (1 जून) को राज्य में मदरसा शिक्षकों को पेंशन देने के सरकार के पहले के फैसले के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि उसने केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष में किसी प्रकार का कोई योगदान दिया है या नहीं? हाई कोर्ट के न्यायाधीश ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायाधीश कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने लोकतंत्र, समानता, शाँति और धर्मनिरपेक्षता के लिए नागरिक संगठन के सचिव मनोज की तरफ से दाखिल की गई याचिका पर यह आदेश जारी किया। इसमें केरल मदरसा शिक्षक कल्याण कोष अधिनियम, 2019 को निरस्त करने की माँग की गई है। राज्य सरकार ने इस अधिनियम को मदरसा शिक्षकों को पेंशन सहित दूसरे फायदे देने के लिए पारित किया था। याचिकाकर्ता के वकील सी राजेंद्रन ने उच्च न्यायालय में बताया कि उस अधिनियम को पढ़ने के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि ये मदरसे सिर्फ कुरान और इस्लाम से संबंधित पाठ्यपुस्तकों से जुड़ी शिक्षाएँ देते हैं। ऐसे में इसके लिए भारी मात्रा में फंडिग करना पूरी तरह से असंवैधानिक और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विरुद्ध है। WTC फाइनल मैच में दोहरा शतक ठोकेंगे रोहित शर्मा ! पूर्व पाक कप्तान ने की भविष्यवाणी चीन की मदद से पाकिस्तान ने बनाई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन PakVac मोदी सरकार ने 'शरीयत' में दखल दिया, इसलिए देश में आया कोरोना और तूफ़ान - सपा सांसद ST हसन