कोच्ची: केरल के कोझीकोड सेशन कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सिविक चंद्रन के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न मामले में एक और विवादित टिप्पणी की हैं। अदालत ने गुरुवार को आरोपी चंद्रन को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए कहा कि SC और ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आरोपी के खिलाफ अपराध सिद्ध नहीं होता, क्याोंकि यह यकीन करने योग्य नहीं है कि पीड़िता के अनुसूचित जाति (SC) से होने की जानकारी के बाद भी आरोपी ने महिला को छुआ।' कोझीकोड सेशन कोर्ट ने SC/ST एक्ट की विभिन्न धाराओं का जिक्र करते हुए कहा है कि आरोपी को इस बात की जानकारी होगी कि पीड़िता SC/ST वर्ग से है और उसकी सहमति के बिना इस प्रकार का कृत्य यौन शोषण में आता है। बता दें कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाते हुए कहा था कि चंद्रन ने अपने प्यार का इजहार करते हुए उसकी गर्दन के पीछे किस किया। जिसके बाद अदालत ने आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि, यह बेहद अविश्वसनीय है कि पीड़िता को कथित तौर पर छूने या गले लगाने से पहले आरोपी को उसकी जाति के संबंध में कोई जानकारी थी। आरोपी एक सुधारवादी है। सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहता है और जाति प्रथा के खिलाफ हैं। अदालत ने कहा कि आरोपी की आयु और स्वास्थ्य के मद्देनज़र यह विश्वास नहीं किया जा सकता है कि उसने महिला की पीठ को किस किया होगा, जो आरोपी से लंबी है। कोर्ट ने यह भी देखा कि दोनों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध थे। यह मामला समाज में आरोपी की छवि को खराब करने के लिए दाखिल किया गया है। जानिए क्यों मनाया जाता है विश्व मानवतावादी दिवस आज ? पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की जयंती आज, जानिए उनके जीवन से जुड़े अहम राज़ जम्मू कश्मीर में बड़ा हमला करने की फ़िराक़ में आतंकी, सुरक्षाबल अलर्ट