लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हाल ही में दिया गया बयान "बंटेंगे तो कटेंगे" चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बयान को लेकर कांग्रेस और अन्य कई दलों ने उन पर निशाना साधा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बयान की निंदा करते हुए इसे "आतंकी भाषा" बताया। खरगे ने कहा कि किसी साधु या संत से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसके जवाब में, 12 नवंबर को महाराष्ट्र के अचलपुर में एक चुनावी रैली में सीएम योगी आदित्यनाथ ने खरगे पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि वे एक योगी हैं, और उनके लिए देश सबसे पहले आता है। योगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का नेतृत्व हमेशा तुष्टिकरण की नीति को प्राथमिकता देता है। उन्होंने यह भी कहा कि खरगे के गांव का इतिहास निजाम के अधीन था और उस समय कांग्रेस का नेतृत्व मुस्लिम लीग के साथ खामोश था, जबकि मुस्लिम लीग हिंदुओं पर अत्याचार कर रही थी। योगी ने आरोप लगाया कि खरगे का गांव भी हिंसा की चपेट में आया था, जिसमें खरगे के परिवार के लोग मारे गए थे। लेकिन योगी के अनुसार, खरगे इस बात को इसलिए नहीं बताते क्योंकि इससे मुस्लिम वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। योगी ने कहा कि खरगे अपने वोट बैंक के लिए अपने परिवार के बलिदान को नजरअंदाज कर रहे हैं और उन्हें केवल अपने वोट बैंक की चिंता है। खरगे ने झारखंड में योगी आदित्यनाथ और अन्य साधुओं पर भी निशाना साधते हुए कहा था कि कई साधु अब राजनेता बन गए हैं और गेरुआ वस्त्र पहनकर समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि "बंटेंगे तो कटेंगे" जैसा बयान एक साधु की भाषा नहीं हो सकती, बल्कि इसे आतंकी भाषा के समान कहा। इस विवाद के चलते दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है, और इस बयान को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। 'नड्डा-शाह के हेलीकाप्टर की भी हुई चेकिंग..', उद्धव के आरोपों पर बोला चुनाव आयोग तलाक़ को लेकर हो रहा था विवाद, थाने पहुंची पत्नी, पति ने लगा ली फांसी 'मुसलमानों का अहसान मानो, वरना लखनऊ तक पाकिस्तान ही होता..', किससे बोले पूर्व राज्यसभा सांसद?