भगवान् श्रीगणेश को एकदन्त के नाम से भी जाना जाता है. पर भगवान् गणेश का नाम एकदन्त कैसे पड़ा इसके पीछे भी एक कथा जुडी हुई है. श्री गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पहले पुत्र हैं. गणेशजी को किसी भी मांगलिक कार्य में सबसे पहले पूजे जाने का वरदान मिला हुआ है, किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत बिना गणेश पूजा के नहीं की जा सकती है. आइये जानते हैं भगवान श्रीगणेश को एकदन्त के नाम से क्यों पुकारा जाता है. जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखने की शुरुआत की तो उन्हें ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके द्वारा बताये गए शब्दों को कागज पर सही ढंग से उतार सके. तब उनके दिमाग में गणेशजी का ख्याल आया. पर उन्होंने महाभारत लिखने की शुरुआत करने से पहले गणेशजी के सामने ये शर्त रखी की वो पूरा महाभारत एक पल के लिए भी बिना रुके पूरा करेंगे. फिर दोनों महाभारत लिखने लगे. वेदव्यास जी ने महाभारत को बोलना शुरू किया और गणेश जी जल्दी-जल्दी लिखने लगे. पर महाभारत लिखते लिखते अचानक गणेश जी का कलम टूट गया, तब भगवान गणेश ने अपने एक दांत को तोड़कर महाभारत लिखने लगे. महर्षि वेदव्यास जी और भगवान गणेश को महाभारत लिखने में तीन वर्ष का समय लगा. तभी से गणेशजी को एकदन्त के नाम से पुकारा जाने लगा . लाल और सफ़ेद फूलो से करे गणपति को प्रसन्न काली हल्दी लाती है घर में बरकत