पुरानी कहावत है कि मंजिल की तरफ एक कदम भी आगे बढ़ाओ, तो मंजिल एक कदम कम हो जाती है.ऐसे में यदि किदाम्बी श्रीकांत जैसा कोई युवा खिलाड़ी अपने प्रशिक्षण के लिए घर से पैदल ही जाता हो, तो उसके मंजिल पर न पहुंचने का तो सवाल ही नहीं उठता. आज श्रीकांत ने बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है.वह दुनिया के नंबर 1 बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं. उन्होंने ये कामयाबी गत गुरूवार को जारी ताजा वर्ल्ड बैडमिंटन रैंकिंग में हासिल की है. आपको यह जानकर अचरज होगा कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर में 7 फरवरी 1993 को जन्मे श्रीकांत बचपन में बैडमिंटन नहीं खेलना चाहते थे. लेकिन पिता केवीएस कृष्णा की इच्छा थी कि श्रीकांत भी अपने बड़े भाई की तरह बैडमिंटन खेले. किशोर अवस्था में श्रीकांत भी अपनी करियर को लेकर गंभीर नहीं थे. इसी बात को लेकर उनके पिता चिंतित रहते थे.आखिर उनके पिता ने बड़े बेटे की तरह ही उन्हें भी बैडमिंटन सीखने के लिए गोपीचंद अकादमी में दाखिल करा ही दिया. गुंटूर में श्रीकांत अपने घर से इंडोर स्टेडियम तक पैदल ही आया-जाया करते थे. शुरु में वे डबल्स और मिक्स्ड डबल्स की ट्रेनिंग लेते थे. तीन साल बाद सिंगल्स पर फोकस करना शुरू किया.श्रीकांत ने ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमन वेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक से चूक गए और रजत पदक पर संतोष करना पड़ा. बता दें कि सबसे बड़ी उपलब्धि उन्होंने गत गुरुवार को हासिल की जब बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड रैंकिंग में वे एक स्थान ऊपर उठकर शीर्ष पर पहुंच गए, जो कि उनके करियर की बेस्ट रैंकिंग है. 25 वर्षीय श्रीकांत के अब 76,895 रेटिंग प्वाइंट हो गए हैं. इसके पूर्व उन्होंने 2017 में रिकार्ड चार सुपर सीरीज खिताब अपने नाम किए थे.गत वर्ष अक्टूबर में श्रीकांत ने डेनमार्क ओपन का खिताब जीता और ये उपलब्धि हासिल करने वाले प्रकाश पादुकोण के बाद वे दूसरे भारतीय शटलर बन गए.इसके अलावा एक ही वर्ष में तीन सुपर सीरीज खिताब जीतने वाले भी वे देश के पहले पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. श्रीकांत की सफलताओं का सिलसिला जारी है. यह भी देखें CWG2018: साइना को स्वर्ण, भारत के खाते में 26 गोल्ड कॉमनवेल्थ गेम्स: साइना के ट्वीट पर 'ज्वाला' का हमला