काठमांडू: नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ का मंदिर, अपने आप में एक अनुपम स्थान रखता है. पशुपतिनाथ को नेपाल के राष्ट्रीय देवता के रूप में पूजा जाता हैं. शिव पुराण के अनुसार, पाताल से लेकर आसमान तक सभी जीव पशु कहे गए हैं और उनका स्वामी होने के कारण शिव को पशुपतिनाथ कहा जाता है. प्रतिवर्ष यहां महाशिवरात्रि का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस बार महाशिवरात्रि के अवसर पर नेपाल और भारत के विभिन्न हिस्सों से साधु संत और नगा बाबा सहित हजारों श्रद्धालु मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए पहले ही पहुंच चुके हैं. इस प्राचीन मंदिर में सन्दर्भ में हिन्दू पुराणों अनुसार एक कथा मिलती है. महाभारत का युद्ध जीतने के बाद, पाण्डवों को स्वर्गप्रयाण के समय भैंसे के स्वरूप में शिव के दर्शन हुए थे जो बाद में धरती में समा गए लेकिन भीम ने उनकी पूँछ पकड़ ली, ऐसे में उस स्थान पर स्थापित उनका स्वरूप उत्तराखंड स्थित केदारनाथ कहलाया, तथा जहाँ पर धरती से बाहर उनका मुख प्रकट हुआ, वह नेपाल में पशुपतिनाथ नाम से प्रसिद्ध हुआ. एक पूर्ण हिन्दू राष्ट्र का दर्जा रखने वाले नेपाल में भी भारत की ही तरह देवाधिदेव महादेव को जगत का आदिगुरु माना जाता है, ज्योतिर्विदों का मानना है कि, इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है. इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गई है, जिसमें शास्त्रीय संगीत और नृत्य के विभिन्न रूप में प्रशिक्षित विभिन्न क्षेत्रों से कलाकार पूरी रात प्रदर्शन करते हैं. ज्योतिष के अनुसार महाशिवरात्रि पूजा और व्रत 13 तारीख को इस शिवरात्रि शिव नगरी में कीजिये भोलेनाथ के दर्शन 13 फरवरी को ही शिवरात्रि मनाना क्यों है शुभ