सिजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक रोग हैं, यह ऐसा रोग हैं जो आसानी से पीछे छोड़ता हैं. इसमें रोगी को विभिन्न प्रकार की आवाजें सुनाई देती हैं. यह एक बहुत खतरनाक बीमारी हैं. इसके इलाज के कारण डायबिटीज की समस्या हो जाती हैं. सिजोफ्रेनिया के कारण टाइप2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता हैं. फिजिकल एक्टिविटी न करने और एंटीसाइकोटिक दवाओं के कारण यह समस्या शुरू हो जाती हैं. सिजोफ्रेनिया को कंट्रोल करने के लिए जो दवाइयां दी जाती हैं, उससे इन्सुलिन का स्तर बढ़ता जाता हैं. इन्सुलिन प्रतिरोध होने लगता हैं. जिसके कारण टाइप2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता हैं. सिजोफ्रेनिया के साथ टेंशन भी बढ़ता जाता हैं. इस तरह हार्मोन कार्टिसोल के बढ़ने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता हैं. इस बीमारी में मरीज को लगता हैं कि दूसरे लोग उसके खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं. इसमें मरीज खुद को सबसे हटकर समझते हैं, उनसे अधिक शक्तिशाली दूसरा कोई नहीं. इसमें मरीज की सोचने और समझने की क्षमता खत्म हो जाती हैं. मरीज खुद को समाज से अलग कर लेता हैं. ऐसी हालत में मरीज के साथ परिवार के सदस्यों को रहने की सलाह दी जाती हैं. ताकि वह उनका ख्याल रखे. ये भी पढ़े पापड़ भी पहुंचा सकता है हमारी सेहत को नुकसान बारिश के मौसम में न खाएं ये चीजें हल्दी का सेवन किसे नहीं करना चाहिए