कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को दिसंबर तक जारी रहने वाला है. भारतीय किसान यूनियन ने कृषकों से धरनास्‍थल पर गर्मी और वर्षा दोनों मौसमों को ध्‍यान में रखते हुए टेंट लगाने की बात बोली है, जिससे उन्‍हें आगे वाले आने मौसमों में किसी भी तरह की परेशानी न हो. भारतीय किसान यूनियन के मुताबिक सरकार ने अभी तक कृषकों को बातचीत को आमंत्रित नहीं किया गया है, जिससे गवर्नमेंट की मंशा स्‍पष्‍ट हो जाती है. इंडियन किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों से लंबे वक़्त तक चलने वाले आंदोलन के लिए तैयार रहने को कहा है. उन्‍होंने बोला कि यह आंदोलन नवंबर-दिसंबर तक खींचने वाला है, इसलिए धरना स्‍थल पर टेंटों को मौसमों के मुताबिक ही बनाएं. राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता ने बोला कि आंदोलन से देश को किसी भी तरह से कोई हानि नहीं होगी, बल्कि हानि तो रेल बेचने और कर्मचारियों को नौकरियों से हटाने से होगा. उन्‍होंने आंदोलन के बीच किसान खेत में काम में लगे हुए है, वो देश के लोगों को भूखा नहीं रहने देगा. उन्‍होंने कहा कि 26 मार्च को बंद को सफल बनाने के लिए ट्रांसपोर्टर और दुकानदारों को भी शामिल किया जाने वाला है. संयुक्त किसान मोर्चा की रणनीति को दोहराते हुए कहा कि 15 मार्च को किसान कॉरपोरेट विरोध दिवस मनाया जाने वाला है. 17 मार्च को मजदूर संगठनों के साथ भारत बंद की सफल बनाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी. 19 मार्च को FCRऔर खेती बचाओ कार्यक्रम के तहत देशभर की मंडियों में विरोध प्रदर्शन किया जाने वाला है. 23 मार्च को शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर युवा कृषक आंदोलन की कमान संभालेंगे. 26 मार्च को भारत बंद होगा और 28 मार्च को देशभर में होलिका दहन में कृषक विरोधी नए कानूनों की कॉपी जलाकर विरोध किया जा सकता है और अगले दिन फूलों की होगी खेली जाएगी. अब मोदी शासन पर भड़के CPIM, कहा- 'चुनावी तानाशाह बन गया है भारत' किसानों ने 169 दिन बाद अमृतसर के पास रेल पटरियों पर दिया धरना भारत, जापानी अंतरिक्ष एजेंसियों ने संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण उपग्रह मिशन की समीक्षा की