जानिए कितना खतरनाक हो सकता है रेबीज

रेबीज एक गंभीर वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से फैलती है। इसे लिसावायरस के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी वायरस के जरिए इंसानों में फैलती है, और अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।

रेबीज वायरस का संक्रमण और समय सीमा

रेबीज वायरस के संपर्क में आने और इसके लक्षण दिखने के बीच का समय 5 दिनों से लेकर 2 साल तक हो सकता है। हालांकि, सामान्यत: इंसानों में इस वायरस के लक्षण 20 से 60 दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं। बच्चों में यह अवधि और भी कम हो सकती है। कुछ दुर्लभ मामलों में, यह देखा गया है कि इस बीमारी के लक्षण 7 साल बाद तक भी दिख सकते हैं।

रेबीज के लक्षण

रेबीज के लक्षण संक्रमित जानवर के काटने के कुछ दिनों बाद दिखने लगते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

बुखार चिंता और बेचैनी काटने वाली जगह पर खुजली और झुनझुनी तंत्रिका तंत्र से जुड़े लक्षण जैसे कि अति सक्रियता या पक्षाघात

रेबीज की रोकथाम के लिए WHO का कदम

रेबीज एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जो मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में फैली हुई है। यह बीमारी लगभग 150 से ज्यादा देशों में पाई जाती है और हर साल हजारों लोगों की मौत का कारण बनती है। इन मौतों में से 40% मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों से जुड़े होते हैं। यह एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलती है।

99% मानव रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। कुत्तों के टीकाकरण के जरिए इस बीमारी को रोका जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को संक्रमित जानवर काट ले या खरोंच दे, तो उसे तुरंत पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) की मदद लेनी चाहिए। PEP में शामिल हैं:

घाव को अच्छे से धोना मानव रेबीज वैक्सीन का एक कोर्स लेना जरूरत पड़ने पर रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (RIG) लेना

रेबीज का इलाज

रेबीज के लक्षण एक बार नर्वस सिस्टम तक पहुंचने के बाद दिखाई देते हैं, तो इस बीमारी से बचना मुश्किल हो जाता है और यह लगभग 100% मामलों में घातक होती है। हालांकि, अगर PEP को समय पर दिया जाए, तो इससे रेबीज के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।

डब्ल्यूएचओ का उद्देश्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और उसके साझेदारों का उद्देश्य कुत्तों के काटने से होने वाली रेबीज से मानव मृत्यु को समाप्त करना है। इसके लिए बड़े पैमाने पर कुत्तों के टीकाकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, PEP तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित की जा रही है, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, बेहतर निगरानी और सामुदायिक जागरूकता के जरिए इस बीमारी की रोकथाम की जा रही है।

रेबीज से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि अगर किसी को संक्रमित जानवर काटे या खरोंचे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और PEP की प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इससे बीमारी को नर्वस सिस्टम तक पहुंचने से पहले रोका जा सकता है।

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