हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों ने अपनी जान गँवाई है वही वायु प्रदूषण कम करके, स्वच्छ ऊर्जा में संक्रमण से आगामी 50 सालों में संयुक्त राज्य अमेरिका में लाखों व्यक्तियों की अकाल मृत्यु, हॉस्पिटल में एडमिट होने और बीमारी को रोका जा सकता है। प्रदूषण से कैसे जाती है जान? वायु प्रदूषण से वक़्त से पहले मौत का सबसे बड़ा चालक पार्टिकुलेट मैटर है: कालिख, ब्लैक कार्बन तथा जीवाश्म ईंधन से निकलने वाले अन्य कण सांस लेने पर फेफड़ों के ऊतकों में गहराई तक जा सकते हैं, जिससे फेफड़े की बीमारी तथा कैंसर हो सकता हैं। कण भी रक्तप्रवाह में घुल जाते हैं तथा पूरे शरीर में घूमते हैं, हृदय में प्रवेश करते हैं। "स्ट्रोक एवं दिल का दौरा हकीकत में पार्टिकुलेट मैटर के खराब नतीजे हैं"। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल 250,000 वक़्त से पहले होने वाली मौतों के लिए या सभी वक़्त से पहले होने वाली मौतों के 5 से 10 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार होने का अंदाजा है। वक़्त के साथ, जनसंख्या बढ़ोतरी की वजह से वायु प्रदूषण से ज्यादा व्यक्तियों की मृत्यु होगी, खास तौर पर शहरों में। वही 1970 में कांग्रेस द्वारा पारित स्वच्छ वायु अधिनियम का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य में सुधार के लिए वायु प्रदूषण को कम करना था। बिजली संयंत्रों तथा गाड़ियों के निकास से हानिकारक उत्सर्जन को कण्ट्रोल करके, जो हृदय रोग, अस्थमा तथा दिल के दौरे की वजह बनता है, हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ तथा जीवन प्रत्याशा में बढ़ोतरी हुई। वायु गुणवत्ता में सुधार की नीतियां पक्षियों की भी सहायता करती हैं। हाल की एक स्टडी में पाया गया कि स्वच्छ वायु अधिनियम ने बीते 40 सालों में ओजोन प्रदूषण को कम करके 1।5 बिलियन पक्षियों को बचाया। सुष्मिता सेन ने जारी किया 'आर्या 2' का फर्स्ट लुक, देखते ही बढ़ा फैंस का उत्साह आज भी करण जौहर के सामने नर्वस हो जाती हैं ये मशहूर अभिनेत्री, देंखे ये जबरदस्त वीडियो रिलीज हुआ ‘अंतिम’ का नया गाना ‘चिंगारी’, लावणी करती नजर आईं एक्ट्रेस