एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है. इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हेस्टामाइन निकलता है जो तेजी से फैल कर एलर्जी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है.एलर्जी के लक्षणों में जुकाम, आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख है. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है. ऐसे करें बचाव: 1-एलर्जी का सबसे बेहतर इलाज यही है कि जितना हो सके एलर्जी वाली चीजों से बचें. मौसमी एलर्जी बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभावित होने की ज्यादा संभावना होती है. 2-एलर्जी से बचने के लिए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक फैटी एसिड काफी मददगार साबित होते हैं. रेशा बनाने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, दही, प्रोसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें. 3-शहद और तुलसी एलर्जी से बचाव करते हैं. 4-अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से एलर्जी है तो हाईपो एलर्जिक बिस्तर खरीदें. 5-आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें. 6-सीलन भरे कोनों में फफूंद और परागकणों को साफ करें. 7-बंद नाक और साइनस से आराम के लिए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें. जाने चिकन गुनिया से सम्बंधित कुछ खास बातो के बारे में