आप सभी को बता दें कि रूद्राक्ष भगवान शिव को सबसे प्यारा माना जाता है. कहते हैं भगवान की भक्ति एवं स्वयं की शक्ति को बढ़ाने के लिए संत-महात्मा अपने गले में रूद्राक्ष धारण करते हैं. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं आठमुखी रुद्राक्ष को कैसे और किस विधि के द्वारा पहना जा सकता है. कहा जाता है राहु का दुष्प्रभाव दूर करने के लिए आठमुखी रुद्राक्ष को गले या भुजा में धारण करने से राहु का दोष समाप्त हो जाता है. आइए जानते हैं आठमुखी रूद्राक्ष को धारण विधि - कहते हैं किसी मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से लेकर पूर्णमासी तक विधिवत् पूजन करना चाहिए और हल्दी के चूर्ण को घोलकर अनार की कलम में ताम्रपत्र पर षणकोण यन्त्र बनाकर उसके मध्य में इस मन्त्र ''श्रीं गलौं फट् स्वाहा'' को लिखकर ''ऊँ सर्वशक्ति कमलासनाय नमः'' मन्त्र को पढ़ते हुए पुष्प अक्षत रखकर गंगाजल से परिमार्जित अष्ठमुखी रुद्राक्ष को समर्पित कर दें. अब गंगाजल में केसर, गोरोचन व दूध मिलाकर निम्न मन्त्र ऊँ गं गणधिपते नमः से रुद्राक्ष का अभिषेक करें. हवन मन्त्र - - ऊँ श्रीं ग्लौं फट्- स्वाहा -ऊँ हूं ग्लौं फट्- स्वाहा -ऊँ हीं ग्लौं फट्- स्वाहा -ऊँ क्लीं ग्लौं फट्- स्वाहा -ऊँ स्त्रीं ग्लौं फट्- स्वाहा -ऊँ गं ग्लौं फट्- स्वाहा -ऊँ ग्लौं फट्- स्वाहा इन सभी मन्त्रों से 5-5 बार स्वाहा बोलकर हवन करना चाहिए और अंत में हवन अग्नि की 7 बार परिक्रमा करके रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. यहाँ जानिए कैसे हुआ था माँ स्कन्दमाता का जन्म आज इस स्तोत्र पाठ और कवच से करें माँ स्कंदमाता को खुश यहाँ जानिए माँ स्कंदमाता की सबसे आसान पूजन विधि और ध्यान मंत्र