यमराज और यमुना के अलावा भाईदूज का त्यौहार प्रभु श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है. प्रभु श्रीकृष्ण एवं उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नराकासुर का वध करने के पश्चात् जब प्रभु श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से भेंट करने पहुंचे थे। उनकी बहन ने उनका फूलों तथा आरती से स्वागत किया था तथा उनके माथे पर टीका किया था। जिसके पश्चात् से इस पर्व को मनाया जाने लगा तथा इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु के लिए कामना करती हैं। भाईदूज की पूजाविधि: वही इस दिन बहनें प्रातः स्नान करके विष्णु तथा गणेश जी की पूजा करती हैं। इसके पश्चात् भाई को तिलक लगाती हैं। भाई दूज वाले दिन बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं। इस चौक पर अपने भाई को बिठाकर उनके हाथों की पूजा करें। सबसे प्रथम बहन अपने भाई के हाथों पर चावलों का घोल लगाए। उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी और मुद्रा रख कर आहिस्ता-आहिस्ता हाथों पर जल छोड़ते हुए मंत्र बोले। इसके पश्चात् भाई के माथे पर टीका लगाकर उसकी लंबी आयु की कामना करें। भाई दूज मंत्र: ‘गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें।’ सबरीमाला तीर्थयात्रियों को तमिलनाडु सरकार ने दिया ये निर्देश जानिए किस दिन की जाती है यमराज की पूजा जानिए हिन्दू धर्म में गाय का महत्त्व