हम सभी सुबह-सुबह अपने घर में पूजा करते हैं. ऐसे में हिन्दू धर्म को माना जाए तो उत्तर पूर्व दिशा का महत्त्व बताते हुए वास्तु कहता है कि ''जब वास्तु को धरती पर लाया गया तब उनका शीर्ष उत्तर-पूर्व दिशा में था, इसी वजह से इस दिशा को सबसे श्रेष्ठ माना गया है.'' कहा जाता है इस दिशा में हमें सूर्य की पवित्र किरणें मिलती हैं जो वातावरण को सकारात्मक बनाती हैं. केवल इतना ही नहीं बल्कि ऐसी मान्यता है कि पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना बहुत ही शुभ माना जाता है. जी हाँ और इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व की ओर होना चाहिए. अगर आप चाहे तो पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा में रख सकते हैं क्योंकि इससे श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं. इसी के साथ पूजा के दौरान दीपक की स्थिति भी सही होनी चाहिए. जी दरअसल घी का दीपक सदैव दाईं और तेल का दीपक सदैव बाईं ओर रखना चाहिए. इसके अलावा जल, पात्र, घंटा, धूपदानी जैसी वस्तुएं बाईं ओर रखना चाहिए. आप सभी को हम यह भी बता दें कि विद्यार्थी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए और अन्य सभी लोगों को पूर्व दिशा में पूर्व की ओर मुंह करके पूजा करनी चाहिए. जी दरअसल उत्तर दिशा को ज्ञान अर्जन और पूर्व दिशा को धन के लिए के लिए उत्तम बताया गया है. इसी के साथ कहा जाता है उत्तर दिशा की और मुख करके मां लक्ष्मी कि मूर्ति या श्री यन्त्र के सामने स्फटिक कि माला से मंत्र जाप करना चाहिए और ध्यान रहे जप जितना अधिक हो सके उतना अच्छा है. आपको कम से कम 108 बार तो जप जरूर करना चाहिए. निर्जला एकादशी के दिन जरूर करें यह 10 काम यहाँ जानिए निर्जला एकादशी व्रत की कथा 2 जून को है निर्जला एकादशी, यहाँ जानिए पूजन और पारण के शुभ मुहूर्त