कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. लेकिन वायरस से ठीक होने वालें लोगों का इम्युनिटी सिस्टम काफी ठीक माना जा रहा है. वही, हर्ड इम्युनिटी यानी बड़े समूह की मजबूत होती प्रतिरक्षा प्रणाली. दुनिया के कई देशों में कोरोना की काट के रूप में स्वत: विकसित होने वाली इस प्रणाली पर भरोसा किया जा रहा है. लेकिन शोध बताते हैं कि भारत जैसे देशों में यह प्रणाली ज्यादा कारगर साबित हो सकती है. ब्रिटेन की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और नई दिल्ली व वाशिंगटन स्थित एनजीओ सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनोमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) से जुड़े विशेषज्ञ इसे बड़ी और युवा आबादी वाले गरीब देशों के लिए रामबाण मान रहे हैं. आइए जानते है क्या है हर्ड इम्युनिटी हर्ड इम्युनिटी का हिंदी में अनुवाद सामुहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता है. वैसे हर्ड का शाब्दिक अनुवाद झुंड होता है. विशेषज्ञों के अनुसार यदि कोरोना वायरस को सीमित रूप से फैलने का मौका दिया जाए तो इससे सामाजिक स्तर पर कोविड-19 को लेकर एक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी. यह दावा है ब्रिटेन की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी और नई दिल्ली व वाशिंगटन स्थित एनजीओ सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनोमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) से जुड़े विशेषज्ञों का. विशेषज्ञों ने भारत और इंडोनेशिया के साथ अफ्रीका के कुछ देशों को यह रणनीति अपनाने को कहा है. ऐसे काम करती है सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता रोग प्रतिरोधक क्षमता रहित इसमें रोगजनक नया होता है और प्रतिरक्षा नहीं होने से फैलने लगता है. मामूली रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ रोगमुक्त होने वालों में कम समय के लिए प्रतिरक्षा विकसित होती हैं. कोरोना वायरस में समय का पता नहीं है. रमजान : पहले दिन की नमाज मस्जिद में नहीं परिवार के साथ घर में हुई अदा कोरोना की मजबूत निगरानी करने के लिए यहां स्थापित हुई मोबाइल टेस्ट लैब रोबोट के जरिए इस अस्पताल में कोरोना मरीजों को मिल रही दवा सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ जब रोगजनक नए लोगों को संक्रमण के लिए नहीं ढूंढ पाता तो समुदाय का एक हिस्सा प्रतिरक्षा हासिल करता है.