कहा जाता है, हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों के पीछे वैज्ञानिक कारण है. पृथ्वी जब सूर्य के चक्कर लगाती है तो उस दौरान एक पुरे चक्र में एक साल की चार संधिया होती है. जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र आते हैं. इस समय बीमारियों के आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है. ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं. अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुद्ध रखने के लिए, तन-मन को अच्छा रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है. हालाँकि इस बिमारियों से बचने के लिए हम प्रतिदिन साफ-सफाई, दातों को साफ करना, नहाना आदि तो करते रहते है, लेकिन भीतरी सफाई के लिए जरुरी है शरीर को आंतरिक रूप से हर 6 महीने में साफ करे. अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर 6 माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है जिसमें सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों के सच्चरित्रता से मन शुद्ध होता है, क्योंकि स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है. चैत्र नवरात्री 2018 : नौ देवियों को पूजने के लिए नौ चमत्कारी मंत्र नवरात्री 2018: इन उपायों से इस नवरात्री पाए कर्ज से पूरा छुटकारा चैत्र नवरात्रि: जानिए माँ दुर्गा के 108 नाम और उनके अर्थ