माँ लक्ष्मी जी को शुक्र ग्रह की अधिष्टात्री देवी मन गया हैं तथा लक्ष्मी जी की हर सवारी गरुड़, हाथी, सिंह और उल्लू सभी राहू घर को संबोधित करते हैं. कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार शुक्र धन और वैभव के देवता हैं और व्यक्ति की कुण्डली में शुक्र धन और दाम्पत्य के स्वामी है. राहू को पाताल का स्थान प्राप्त है तथा कुण्डली में राहू का पक्का घर छठा स्थान होता है और राहू को कुण्डली के भाव नंबर आठवें, तीसरे और छठे में श्रेष्ठ स्थान में माना गया है. कुण्डली में काला धन अथवा छुपा हुआ धन छठे और आठवें भाव से दिखता है. तंत्र शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी वाहन उल्लू रहस्यमयी शक्तियों का स्वामी है. प्राचीन ग्रीक में उल्लू को सौभाग्य और धन का सूचक माना जाता था. यूरोप में उल्लू को काले जादू का प्रतीक माना जाता है. भारत में उल्लूक तंत्र सर्वाधिक प्रचलित है. चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई में उल्लू को सौभाग्य और सुरक्षा का भी पर्याय माना जाता है. जापानी लोग उल्लू को कठिनाइयों से बचाव करने वाला मानते हैं. उल्लू को निशाचर यानी रात का प्राणी माना जाता है और यह अंधेरी रात में भी न सिर्फ देख सकता है बल्कि अपने शिकार पर दूर दृष्टि बनाए रख सकता है. ये है रोगमुक्ति के आसान उपायजानिए क्या है पीपल के पेड़ की पूजा करने का सही तरीका