सीकर: सिर सांठे रूंख रहे तो भी सस्तों जांण। जैसी राजस्थानी कहावत को सच्चाई में बदल रहे हैं 88 वर्ष के बुजुर्ग। ये हैं फतेहपुर के जेठवा का बास गांव के 88 वर्ष के मनरूप जेठू। इन्हें मनरूप ही नहीं बड़ वाले बाबा कहें तो ये बात फिर भी गलत न होगी। बड़ पीपल जैसे 24 घंटे ऑक्सिजन छोडऩे वाले और हजारों वर्ष जीने वाले पेड़ों से इनको प्रागढ़ प्रेम है। बीते 29 वर्ष से ये गांव गांव में जाकर पेड़ लगाने का काम कर रहे है। इन 29 वर्ष में भले ही अलग अलग किस्म के तकरीबन 10 हजार पेड़ लगा चुके हैं लेकिन खास बात यह है कि ये 8 जिलों के तकरीबन 70 गांवों में जाकर बड़ पीपल व नीम के पेड़ लगा चुके हैं। जेठवा का बास गांव के श्मसान घाट व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर मनरूप जेठू ने एक हजार से अधिक पेड़ लगाए हैं। इनमें से कई पेड़ तो अब बहुत बड़े हो चुके हैं। अधिकतर पेड़ों को इन्होंने खुद पानी देकर सींचा है। अब उम्र अधिक होने के बावजूद भी कुछ पेड़ों में तो रोज पानी जरूर डालकर आते हैं। आयुर्वेद का भी है ज्ञान: खबरों का कहना है कि गांव के रहने वाले मनरूप जेठू को आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान है। आसपास के गांवों के लोग उन्हें देशी दवाइयों के बारे में पूछते रहते हैं। जितने भी पेड़ लगाए हैं वे इन्होंने खुद के पैसों से ही लगा दिए है। वे शुरू से ही समाज सेवा से जुड़े हुए हैं। इनके एक बेटा है जो अंग्रेजी के व्याख्याता हैं। मनरूप पेड़ लगाने के भी एक्सपर्ट हो गए है। कई गांवों के लोग गांव में बड़ या पीपल लगाते हैं तो इनको लगाने के लिए लेकर जाते हैं। एक पेड़ लगा तो मिली प्रेरणा, फिर तो यह आदत बन गई: वे बताते हैं कि आज से 29 वर्ष पहले कुछ लोग बड़ का पेड़ काटने का काम करते थे। उनको मना किया तो वे फिर भी नहीं माने। उन्होंने गांव में इस बड़ के पेड़ का डाल लाकर लगाया था। वह पेड़ लग गया तो ठान लिया कि हर जगह को हराभरा बनाने का फैसला लिया। बड़ पीपल से इस लिए लगाव हुआ कि इनका धार्मिक महत्व है और ये पेड़ 24 घंटे ऑक्सिजन छोड़ते हैं। गांव में इनके लगाए बड़े पीपल के पेड़ अब बहुत बड़े हो चुके हैं। इसके बाद तो जहां गए वहीं बड़, पीपल व नीम के पेड़ लगाकर आए। इन जिलों में लगाए हैं पेड़: इतना ही नहीं मनरूप जेठू ने पाली जिले के सोजत, हनुमानगढ़ के भादरा, चूरू के सांडवा, कैलाश गांव, नागौर के खींवसर, बीकानेर के नोखा, जोधपुर , सीकर व झुुझुनूं के करीब 70 गांवों में पेड़ लगा दिए। खुद के गांव के आसपास के कई गांवों में तो लगातार कई बरसों तक पेड़ लगाए हैं। अब तक करीब 10 हजार पेड़ लगा चुके हैं। नोट:- ये खबर 7 वर्ष पुरानी है, इसलिए व्यक्ति की उम्र में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. इस खबर के माध्यम से लोगों तक ये संदेश पहुँचाना चाहते है की पेड़ मानव जीवन के लिए कितने जरुरी है. अगर आप पहली बार अपने बालों को कलर करने जा रही हैं तो इन बातों का रखें ध्यान Altroz Racer अधिक शक्ति और उन्नत सुविधाओं के साथ बाजार में उतरेगा, iTurbo से है काफी अलग सिंगल चार्ज पर 600 किलोमीटर चलेगी, केआईए की ये नई इलेक्ट्रिक कार भारत कब आएगी?