हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखे जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है,सभी तिथियों में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का नाम दिया गया है ये व्रत शिवजी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है,वैसे तो हफ्ते के सातो दिन कोई ना कोई व्रत किया जाता है पर इन सभी व्रतों में प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व है. और अगर रविवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ जाये तो ये बहुत ही शुभ होता है,ऐसा होने से आपके घर से सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते है. सूरज डूबने के पश्चात् रात के शुरू तक के समय को प्रदोष काल में लिया जा सकता है. ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिवजी खुश होकर कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं. हिन्दू धर्म में इस व्रत को बहुत ही खास माना जाता है,हमारे शास्त्रों में बताया गया है की इस व्रत को करने से सभी प्रकार के दोष मिट जाते है. और जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. हमारे शास्त्रों में बताया गया है की अगर आप प्रदोष व्रत करते है तो इससे आपको दो गायों को दान करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है , पूरे दिन निर्जल उपवास करने के बाद सूरज डूबने से एक घंटा पहले, नहा कर सफ़ेद कपडे पहनकर भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव को जल अर्पित करें. घर में सुख समृद्धि लाते है चांदी के ये उपाय ऐश्वर्य पाने के लिए करे मंदार के फूलो से सूर्यदेव की पूजा इन चीजों को पर्स में रखने से दूर हो जाती है धन की कमी