मुंबई: भारत में बीते कुछ वर्षों के अंदर प्रत्येक क्षेत्र में बड़े परिवर्तन देखे गए हैं। अब भारत में स्टार्ट-अप का चलन बढ़ने लगा है जिसके कारण छोटे-छोटे कारोबार करने वालों को भी बहुत लाभ हो रहा है। इन्हीं में कुछ ऐसे काम-धंधे भी हैं जो लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने में लगे हैं। मायानगरी मुंबई में का भी एक स्टार्टअप इन दिनों ख़बरों का विषय बना हुआ है। मुंबई के सांताक्रुज क्षेत्र में उपस्थित 'सुखांत फ्यूनरल मैनेजमेंट कंपनी' लोगों की अंत्येष्टि करवाती है। यह कंपनी प्रत्येक चीज का ध्यान रखती है जो मनुष्य के क्रियाकर्म के समय आवश्यक होता है। अर्थी को कंधा देने से लेकर, साथ में चलने वाले, 'राम नाम सत्य है' बोलने वाले एवं पंडित-नाई, सब यह कंपनी उपलब्ध करवाती है। साथ ही मरनेवालों की अस्थियों का विसर्जन का सारा प्रबंध भी यही करवाते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि मृत्यु के पश्चात् अंतिम क्रिया कर्म की जिम्मेदारी परिवार की होती है। यही रिवाज सालों से भारत में चला आ रहा है। लेकिन परिवर्तित होते भारत के साथ तमाम तौर तरीके और बर्ताव संस्कार इत्यादि भी बदलते जा रहे हैं। इस युग में अब किसी उत्सव से लेकर अंत्येष्टि तक का प्रबंध करने के लिए मैनेजमेंट कंपनियां आगे आ गई हैं। सुखांत फ्यूनरल मैनेजमेंट कंपनी के मालिक संजय ने बताया कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शहरों की भागती-दौड़ती जिंदगी में बेहद मुश्किल होती है। ऐसे में पार्थिव शरीर की अंतिम क्रिया के लिए बहुत कुछ व्यवस्था करनी होती हैं। क्योंकि अंत्येष्टि की तैयारियों के लिए लोगों एवं चीजों की आवश्यकता होती है, इसीलिए हम अपनी इस कंपनी के तहत लोगों को अपने परिजनों के साथ कुछ और वक़्त गुजारने के साथ-साथ दिक्कतों से बचने की सहूलियत देते हैं तथा अंतिम संस्कार की सारी जिम्मेदारी हमारी होती है। सुखांत कंपनी में एक बार नामांकन करवाने के पश्चात् व्यक्ति के जन्मदिन से लेकर उनकी हेल्थ का सारा डाटा रखती है। साथ ही प्रत्येक वर्ष जन्मदिन या बाकी कोई किसी दिन सेलिब्रेशन भी किया जाता है। वहीं, मृत्यु के पश्चात् अंत्येष्टि की सारी जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती है। साथ ही यदि कोई परिजन अंतिम दर्शन के लिए नहीं आ सकता है, तो उसके लिए ऑनलाइन दर्शन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाती है। 'उम्रकैद' की सजा काट रहा है ये बंदर, जानिए वजह बाबा विश्वनाथ धाम पर हुई लक्ष्मी की कृपा, भक्तों ने तोड़ा ये रिकॉर्ड अब राहुल गांधी ने ऐसा क्या कह दिया ? जो लोग उन्हें कहने लगे 'झूठा'