सड़क सुरक्षा को लेकर अभी जान लें ये जरुरी बात

सड़क सुरक्षा को मजबूत करने और यातायात प्रवर्तन में सुधार लाने के लिए, इंडियन गवर्नमेंट वाहनों की रफ्तार मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रडार उपकरणों के लिए नियम लागू करने वाली है। उपभोक्ता केसों के मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी (कानूनी माप विज्ञान) प्रभाग द्वारा तैयार किए गए मसौदा नियमों के मुताबिक, सभी रडार उपकरणों को तैनाती से पहले वेरिफिकेशन (सत्यापन) से गुजरना होगा और आधिकारिक मुहर हासिल करना पड़ेगा।

ये नियम कानूनी माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत आते हैं, और विशेष रूप से माइक्रोवेव डॉपलर रडार उपकरण पर लागू किए जाने वाले है। जिसका व्यापक रूप से ट्रैफिक स्पीड निगरानी में उपयोग किया जाता है। जिसका मकसद स्पीड का पता लगाने में सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना पड़ेगा। जो सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और ट्रैफिक कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है।

इतना ही नहीं इन विनियमों के लिए रूपरेखा भारतीय विधिक मापविज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी) (IILM), क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशालाओं (रिजनल रेफरेंस लेबोरेटरी) (RRSLs), निर्माताओं और वाहन प्रमाणन संगठनों समेत प्रमुख हितधारकों के साथ परामर्श के बाद विकसित कर दी गई थी। नियमों का एक मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए प्रकाशित कर दिया गया था, और मिले इनपुट की सावधानीपूर्वक जांच की जा चुकी है।

मंत्रालय ने एक बयान ने बोला है कि "विभिन्न परामर्शों के दौरान मिले सुझावों की सावधानीपूर्वक कार्रवाई की जाती है, और नियमों को जल्द ही अधिसूचित किया जाने वाला है।" ये नियम इंटरनेशनल कानूनी माप विज्ञान संगठन (OIML) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं। जो वैश्विक अनुपालन और सबसे अच्छी आदतों को शामिल करते हैं।

वेरिफाइड रडार इक्यूपमेंट स्पीड और दूरी का सटीक माप सुनिश्चित करने वाले है। जिससे सड़क सुरक्षा से समझौता करने वाली त्रुटियों को कम किया जा सकता है। उपभोक्ता केसों के मंत्रालय ने यातायात प्रवर्तन में विश्वसनीय डेटा के महत्व पर रोशनी डालते हुए बोला है कि, "विश्वसनीय रफ्तार माप न सिर्फ स्पीड उल्लंघन की पहचान करने में सहायता करने वाला है, बल्कि असुरक्षित ड्राइविंग व्यवहार को रोकने में भी सहायता करने वाला है। जिससे दुर्घटनाओं और सड़क बुनियादी ढांचे पर होने वाले नुकसान में कमी आ सकती है।"

नए रडार नियम क्या हैं?: खबरों की माने तो कानूनी माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत विकसित नए नियमों में वाहनों की स्पीड मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रडार उपकरणों का अनिवार्य सत्यापन और स्टैम्पिंग की जरुरत होने वाली है। ये नियम विशेष रूप से माइक्रोवेव डॉपलर रडार उपकरणों को लक्षित करते हैं, जिन्हें यातायात प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा व्यापक रूप से तैनात किया जाता है। इस्तेमाल में लाने से पूर्व, हर एक रडार उपकरण को गति और दूरी मापने में सटीकता सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन से गुजरना होगा। सत्यापित उपकरणों को उद्योग और इंटरनेशनल मानकों के अनुपालन को प्रमाणित करने वाली एक आधिकारिक मुहर भी मिलने वाली है।

ये नियम क्यों लागू किए जा रहे हैं?: इंडिया में सड़क दुर्घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक 2022 में देश में 461,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, इनमे 168,491 मौतें और 443,366 जख्मी हुए। ये आंकड़े 2021 की तुलना में दुर्घटनाओं में 11.9 फीसद, मृत्यु दर में 9.4 फीसद और चोटों में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाते हैं।

गलत स्पीड माप उपकरण प्रवर्तन और सड़क सुरक्षा को खतरे में डालने का काम कर सकते है। वे स्पीड उल्लंघनों की पहचान करने में नाकाम हो सकते हैं, जिससे असुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं को जारी रहने दिया जा सकता है। जैसा कि उपभोक्ता केसों के मंत्रालय ने बोला है कि, "गलत स्पीड माप गति उल्लंघनों का पता लगाने में असफल होने से सड़क सुरक्षा को कमजोर कर सकते हैं, जिससे सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए जोखिम बढ़ जाता है।" नियम कैसे विकसित किए गए?

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के कानूनी माप विज्ञान प्रभाग ने कई हितधारकों के परामर्श से नियम विकसित किए: भारतीय कानूनी माप विज्ञान संस्थान (IILM) क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशालाएं (RRSL) रडार उपकरण निर्माता वाहन प्रमाणन संगठन

नियमों का मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए प्रकाशित भी कर दिया गया था। मंत्रालय ने सभी सुझावों की समीक्षा की और प्रासंगिक फीडबैक को भी जोड़ दिया गया है। नियमों को जल्द ही आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया जाने वाला है। मंत्रालय ने एक बयान में बोला है कि, "विभिन्न परामर्शों के बीच मिले सुझावों की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है। और नियमों को जल्द ही अधिसूचित किया जाने वाला है।"

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