जानिए क्या होता है कोलोरेक्टल कैंसर?

कोलोरेक्टल कैंसर, जिसे कोलन और रेक्टल कैंसर भी कहा जाता है, आज दुनिया में सबसे आम कैंसर में से एक है। यदि इस बीमारी का पता शुरुआती चरण में लगाया जाए, तो मरीज को बचाना आसान हो जाता है। हालांकि, यह कैंसर अक्सर चुपके से विकसित होता है, जिससे शुरुआती लक्षणों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि कोलोरेक्टल कैंसर के शुरुआती चरण में कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं।

1. मल त्याग की आदतों में बदलाव: कोलोरेक्टल कैंसर का एक संकेत मल त्याग की आदतों में लगातार बदलाव हो सकता है। इससे दस्त या कब्ज की समस्या शुरू हो सकती है, और यह महसूस हो सकता है कि आंत पूरी तरह से खाली नहीं होती है। यदि यह स्थिति कई हफ्तों तक बनी रहती है, तो यह गंभीर समस्या हो सकती है।

2. मलाशय से खून आना: मल में खून आना कोलोरेक्टल कैंसर का एक चेतावनी लक्षण है। ट्यूमर के स्थान के आधार पर, खून का रंग चमकीला लाल या गहरा हो सकता है। यह लक्षण किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या का संकेत दे सकता है, और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

3. अचानक वजन घटना: बिना किसी कारण के वजन घटना भी कोलोरेक्टल कैंसर का एक लक्षण हो सकता है। यह वजन घटना किसी विशेष डाइटिंग या व्यायाम के बिना होती है। कैंसर कोशिकाओं का तेजी से बढ़ना और ऊर्जा की अधिक आवश्यकता के कारण यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।

4. पेट में दर्द या बेचैनी: यदि आपको लगातार पेट में दर्द, गैस, या ऐंठन का अनुभव हो रहा है, तो यह कोलोरेक्टल कैंसर का संकेत हो सकता है। यह असुविधा अक्सर सूजन या पेट में भरे होने की भावना के साथ होती है।

5. थकान और कमजोरी: कोलोरेक्टल कैंसर से प्रभावित लोग अक्सर थकान और कमजोरी का अनुभव करते हैं, भले ही वे सक्रिय न हों। यह थकान कैंसर के कारण आंतरिक रक्त की हानि का परिणाम हो सकती है।

6. बैक्टीरिया का प्रभाव: हाल ही में किए गए शोध के अनुसार, मुंह में मौजूद बैक्टीरिया फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम कोलोरेक्टल कैंसर की बीमारी की वृद्धि में योगदान करते हैं। 'नेचर जर्नल' में प्रकाशित एक अध्ययन में 200 मरीजों के कोलेस्ट्रॉल का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि कैंसर ट्यूमर की जांच के दौरान फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम का स्तर महत्वपूर्ण है। कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों को समझना और समय पर सही कदम उठाना बेहद जरूरी है। यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। शुरुआती पहचान से इलाज की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं, जिससे जीवन को बचाने की उम्मीद और बढ़ जाती है।

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